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विजीलैंस द्वारा कई आरसी को तलब करने के मामले में कई साल तक मलाईदार सीट का लाभ उठाने वाले कर्मचारी पर घूम रही शक की सुई !

PUBLISH DATE: 06-02-2025

अपनी पूरी नौकरी में अधिकतर समय आरसी एवं फोटोस्टेट आपरेटर के पद पर तैनात रहते हुए किए लाखों के वारे-न्यारे !


विजीलैंस द्वारा 2 साल पहले भेजी गई दागी अधिकारियों व कर्मचारियों की सूचि में भी बनाई थी जनाब ने अपनी जगह


 


हाल ही में विजीलैंस विभाग (VIGILENCE DEPARTMENT) द्वारा पिछले 5 साल के अंतराल में नूरमहल (NURMAHAL) एवं सब-रजिस्ट्रार जालंधर 1 व 2 (SUB REGISTRAR OFFICE JALANDHAR 1 & 2) में अलग-अलग समय पर बतौर आरसी (REGISTRY CLERK) तैनात रहने वाले कर्मचारियों (EMPLOYEES)  के तलब किया था। जिसको लेकर गत दिवस डीसी दफ्तर इंप्लाईज़ यूनियन (DC OFFICE EMPLOYEES UNION) के प्रदेश प्रधान तजिंदर सिंह (STATE PRESEIDENT TEJINDER SINGH) ने बाकायदा तौर पर फेसबुक लाईव (FACEBOOK LIVE) के माध्यम से विजीलैंस की इस कारवाई को सरासर गलत ठहराते हुए ऐलान किया था, कि उनका कोई भी साथी कर्मचारी विजीलैंस के ऐसे बुलाने पर नहीं जाएगा। और इस मामले की शिकायत उच्च-अधिकारियों (HIGHER OFFICIALS) के पास भी की जाएगी।


इसके पश्चात पूरे ज़िले में इसको लेकर चर्चाओं का बाज़ार गर्म हो गया था कि क्या वाकई विजीलैंस ने जिस तरीके से उक्त कर्मचारियों को तलब किया है वह गलत है ? क्या बतौर आरसी तैनात रहे सभी कर्मचारियों का दामन बिल्कुल साफ और भ्रष्टाचारमुक्त रहा है ? क्या बिना किसी शिकायतकर्ता के नाम वाली गुमनाम (ANONYMOUS) शिकायत (COMPLAINT) पर विजीलैंस को कोई जांच आगे बढ़ानी चाहिए या नहीं ?


क्या सही है क्या गलत, इसका फैसला मीडिया (MEDIA) नहीं कर सकता, मगर इस मामले के सामने आते ही एक ऐसे कर्मचारी का ज़िक्र पूरे ज़िले में काम करने वाले कर्मचारियों की ज़ुबान पर ज़रूर आना शुरू हो गया, जिसने अपनी नौकरी के अधितकर समय में केवल 2 मलाईदार सीट जिसमें एक आरसी और दूसरी फोटोस्टेट आपरेटर (PHOTOSTAT OPERATOR) ही काम किया है। हालांकि मौजुदा समय के अंदर उक्त मुलाज़िम तरक्की लेकर बतौर सीनियर सहायक (SENIOR ASSISTANT) जालंधर से बाहर सब-तहसील में तैनात है। मगर अपने कार्यकाल के दौरान उक्त मुलाज़िम का विवादों के साथ चोली-दामन का साथ बना रहा है।


 



 


इतना ही नहीं लगभग 2 साल पहले विजीलैंस विभाग की तरफ से पूरे प्रदेश के 4 दर्जन से अधिक तहसीलदार, नायब तहसीलदार, आरसी एवं वसीका नवीसों की ज़िलेवार एक सूची चीफ सैक्रेटरी (CHIEF SECRETARY) के पास भेजकर उन्हें दागी अधिकारी करार देते हुए उनके खिलाफ कारवाई की सिफारिश की थी। मगर बाद में अधिकारियों ने सरकार के ऊपर दबाव बनाया, जिसके बाद आज तक उक्त चिट्ठी ठंडे बस्ते में डालकर रखी गई है। उक्त मुलाज़िम के ऊपर अब विजीलैंस द्वारा नूरमहल में तैनात रही नायब तहसीलदार अनुदीप शर्मा (ANUDEEP SHARMA) के खिलाफ आई एक शिकायत के आधार पर शुरू की गई जांच में शक की सुई उसकी तरफ ही घूमती दिखाई दे रही है। क्योंकि विजीलैंस ने 2023 में जो दागी अधिकारियों की सूची जारी की थी उसमें अनुदीप शर्मा के साथ-साथ इस मुलिज़म का नाम भी शामिल था।


दबी ज़ुबान में उक्त कर्मचारी के साथ काम कर चुके एवं इसे अच्छी तरह से जानने वाले अन्य कर्मचारियों का मानना है कि विजीलैंस विभाग से जो परेशानी वह लोग झेल रहे हैं, उसके पीछे असली कारण यही मुलाज़िम है। क्योंकि करप्शन के मामले में यह पूरे ज़िले में सबसे अव्वल नंबर पर रहा है।


अगर बात की जाए, इसकी बतौर फोटोस्टेट आपरेटर तैनाती की, तो कई बार इसके खिलाफ शिकायतें आती रहीं। मगर हर बार यह अपनी काली कमाई के पैसों की ताकत एवं तगड़ी सैटिंग के दम पर सारी शिकायतें दबाने में कामयाब होता रहा है। अगर इसके कार्यकाल के दौरान हुए घपलों व फर्जीवाड़ों की बात की जाए, तो सूत्रों का यहां तक कहना है कि हज़ारों-लाखों रूपए की राशी लेकर यह सरकारी रिकार्ड में हेर-फेर करने जैसा बड़ा आपराधिक कृत्य तक करता रहा है। अगर सरकार आज भी सरकारी रिकार्ड की गहन पड़ताल करवाए, तो बहुत बड़ी गिनती में सरकारी रिकार्ड ऐसा मिल सकता है, जिसमें कटिंग करके कई तथ्य बदले गए नज़र आ सकते हैं।


इतना ही नहीं अगर आयकर विभाग इसकी चल-अचल संपत्ति की भी गहन पड़ताल करती है तो कई करोड़ों की बेनामी संपत्तियों का भी पता लगाया जा सकता है। जिसके बाद इसकी काली कमाई से बनाई गई बेनामी संपत्ती को कुर्क करके सरकारी खज़ाने में भी जमा करवाया जा सकता है।


विजीलैंस की जांच में क्या सामने आता है, यह तो आने वाला समय ही बेहतर बता सकता है, मगर इतना तय है कि उक्त “योगा शेर” का समय बहुत बढ़िया दिखाई नहीं दे रहा है।


देखें विजीलैंस द्वारा 2023 में सरकार के पास भेजी गई दागी अधिकारियों की सूचि एवं पत्र