ज़िले के पटवारी व कानूनगो का अपनी मनपसंद जगह पर एकछत्र अधिकार, अपनी ऊंची पहुंच व तगड़ी सैटिंग के दम पर करवाई सर्किल की अघोषित रजिस्ट्री !

सदर कानूनगो शाखा भी ऐसे लोगों पर है खास मेहरबान, डीसी के पास नहीं भेजते सही जानकारी !
वैसे तो सरकार की पालिसी है कि एक अधिकारी या कर्मचारी को एक ही जगह पर अधिक समय तक तैनात नहीं किया जा सकता, क्योंकि इससे करप्शन की संभावना बहुत अधिक बढ़ जाती है। शायद इसी बात का जीता-जागता उदाहरण है हाल ही में सरकार द्वारा किए गए तहसीलदारों के तबादले। जिसमें उन्हें काफी दूर तैनात करके साफ संदेश दिया गया है कि करप्शन की मामूली से मामूली संभावना को भी खत्म करते हुए आम जनता के काम सुगम बनाए जाएंगे।
मगर जालंधर ज़िले में तैनात पटवारी व कानूनगो की हालात ऐसी बन चुकी है कि उनके ऊपर ऐसा कोई कानून लागू ही नहीं होता। आए दिन तहसीलों मे इंतकाल या अन्य काम करवाने के नाम पर रिश्वत मांगने के आरोप लगते रहते हैं, मगर आज तक इनके तबादले ऐसे नहीं किए गए, कि सही मायने में उसे तबादला कहा जा सके। अधिकतर लोग एक जगह से दूसरी जगह जाते हैं और वापिस उसी जगह बदल दिए जा रहे हैं। जिससे उनका एक तरह से अपनी मनपंसद जगह पर एकछत्र अधिकारि सा बन चुका है।
ज़िले के कुछ पटवारी व कानूनगो ऐसे हैं जिन्होंने मानो अपने सर्किल की परमानैंट रजिस्ट्री अपने नाम पर करवा रखी है। पिछले कई सालों से वह या तो बतौर पटवारी या फिर तरक्की होने के बाद भी उसी सकिल में ही तैनात रहे हैं। जिससे यह साफ पता लगता है कि या तो उनमें कोई ऐसी खास बात है जो दूसरों में है ही नहीं। या फिर उनकी पहुंच बहुत उंची है या सैटिंग इतनी तगड़ी है कि उनका तबादला कोई कर ही नहीं सकता।
हालात तो उस समय बद से बदतर हो जाते हैं जब वही पटवारी जो कि कानूनगो प्रमोट हुए थे, अब उसी जगह पर बतौर सब-रजिस्ट्रार या ज्वाईंट सब-रजिस्ट्रार तैनात कर दिए जाते हैं। इससे साफ पता लगता है कि ऐसे अधिकारियों की जड़ें बहुत मज़बूत हैं और साथ ही साथ सदर कानूनगो ब्रांच में इनका दबदबा बहुत ज्यादा है। सदर कानूनगो शाखा ऐसे अधिकारियों पर ज़रूरत से अधिक मेहरबान दिखाई दे रही है और इसी का नतीजा है कि डीसी के पास इस बात की सही जानकारी ही नहीं उपलब्ध करवाई जा रही, कि प्रदेश सरकार की हिदायतों व हर कायदे-कानून को सिरे से खारिज करते हुए उनकी पोस्टिंग की जा रही है।
हाल ही में डीसी द्वारा किए गए तबादलों की बात की जाए, तो उसमें भी इसी रूल का पालन किया गया है।
उदाहरण के तौर पर क्रम संख्या नं 1 पर बलजीत सिंह कानूनगो को काहलवां से जालंधर तैनात किया गया है। यहां बताने लायक है कि इससे पहले भी उक्त अधिकारी जालंधर में ही कफी लंबे समय तक बतौर पटवारी तैनात रहे हैं। और बाद में कानूनगो प्रमोशन मिलने के बाद भी यह जालंधर में ही तैनात रहे और अब काहलवां से एक बार फिर इन्हें जालंधर तैनात करके गिफ्ट से नवाज़ा गया है।
इसी प्रकार से क्रम संख्या नं 2 पर रविंदर सिंह कानूनगो को जालंधर से रेरू तैनात किया गया है। यहां बताने लायक है कि उक्त अधिकारी काफी लंबे समय तक या फिर कहें तो शुरूआत से लेकर आज तक केवल जालंधर में ही बतौर पटवारी व कानूनगो तैनात रहे हैं। इनका सर्किल भी शायद ही कभी बदला गया हो। अब इन्हें भी एक बढ़िया सर्किल देकर बतौर गिफ्ट नवाज़ा गया है।
इसी प्रकार से क्रम संख्या नं 4 पर गुरबीर सिंह कानूनगो को ढंडोवाल से शाहकोट व अतिरिक्त चार्ज दफ्तर कानूनगो शाहकोट व ढंडोवाल तैनात किया गया है। यहां बताने लायक है कि उक्त अधिकारी अपनी नौकरी की शुरूआत से लेकर आज तक शाहकोट में ही तैनात रहे हैं और अब भी उन्हें उनके मनपसंद सर्किल वह एक साथ तीन देकर बतौर गिफ्ट नवाज़ा गया है।
इसी प्रकार से क्रम संख्या नं 15 पर दीपिका पटवारीको तलवंडी भरों-1 से रायपुर रसूलपुर में तैनात किया गया है। यहां बताने लायक है कि उक्त कर्मचारी के करप्शन की शिकायत (जिसमें सूत्रों का कहना है कि उसने एक इंतकाल करने के बदले थार गाड़ी की मांग रखी थी, हालांकि इसको लेकर कोई सबूत नहीं पेश किया गया है) के चलते उसका तबादला नकोदर किया गया था। अब उसे एक बार फिर से रायपुर रसूलपुर जैसा शहरी बढ़िया सर्किल देकर बतौर गिफ्ट नवाज़ा गया है। यहां वर्णनीय है कि उक्त र्कीमचारी की हाल ही में नियक्ति हुई है और यह अभी भी प्रोबेशन पीरियड पर है।
इसके साथ ही सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार नकोदर में केडी पटवारी को 3 सर्किल देकर, हुसन लाल कानूनगो जो अब बतौर सब-रजिस्ट्रार नकोदर में ही तैनात किए गए हैं, वह लगातार 15 साल से बतौर पटवारी, कानूनगो व हाल ही में सब-रजिस्ट्रार इसी जगह पर तैनात रहे हैं।
ऐसा प्रतीत होता है कि इनकी जगह कोई अन्य अधिकारी या कर्मचारी तैनात ही नहीं किया जा सकता, क्योंकि ऐसे लोगों की पहुंच बहुत ऊंची है और सदर कानूनगो शाखा की भी इन सबके ऊपर खास मेहरबानी है, जिसके चलते यह अपनी नौकरी अपनी मनपसंद जगह पर अपनी मर्ज़ी से करके जीवन का भरपूर आनंद उठा रहे हैं। सूत्रों की मानें तो हुसन लाल सब-रजिस्ट्रार ने अपनी नेक कमाई से अपने एक रिश्तेदार के नाम पर कैफे भी खाेला है, जिससे वह हर महीने लाखों रूपए अतिरिक्त आमदनी कमा रहे हैं।
पढ़ें डीसी द्वारा जारी आदेश की कापी

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