पंजाब के प्रति नफरत से छुटकारा पाने के लिए प्रधानमंत्री ‘चिंतन शिविर’ में जाएं : हरपाल सिंह चीमा

प्रधानमंत्री असली बाढ़ पीड़ितों से मिलने की बजाय पार्टी कार्यकर्ताओं से मिलकर चले गए
बीजेपी की पंजाब के प्रति नफ़रत अब खुलेआम उजागर हो गई है
कहा, पंजाबियों द्वारा तीन काले कानून रद्द करवाने को प्रधानमंत्री नहीं भूल पा रहे
पंजाब के कैबिनेट मंत्री के साथ कटुता को पंजाब, पंजाबी और पंजाबीत्व की बेइज़्ज़ती घोषित किया
चंडीगढ़, 10 सितंबर :
पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के हालिया दौरे की तीव्र निंदा की, इसे मदद करने के सच्चे प्रयास की बजाय एक राजनीतिक प्रदर्शन करार दिया। वित्त मंत्री चीमा ने प्रधानमंत्री से अपील की कि वे पंजाब और इसके लोगों के प्रति अपनी “नफरत” से छुटकारा पाने के लिए “चिंतन शिविर” (आत्मनिरीक्षण या चिंतन के लिए समय बिताना) में शामिल हों।
यहाँ पंजाब भवन में मीडिया को संबोधित करते हुए, वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बाढ़ प्रभावित सूबे के हालिया दौरे की कड़ी आलोचना करते हुए इसे सहानुभूति और सार्थकता से रहित एक नाटकीय प्रयास बताया। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी द्वारा अफगानिस्तान के प्रति तत्काल सहानुभूति और 30 दिनों की चुप्पी के बावजूद पंजाब के लिए देरी से घोषित 1600 करोड़ रुपए की नगण्य सहायता के बीच स्पष्ट अंतर की ओर इशारा किया। उन्होंने कहा कि पंजाब के लोग, जिन्होंने हमारे देश के लिए बहुत बलिदान दिए हैं, उन्हें याद करने के लिए प्रधानमंत्री को 30 दिन लग गए, जबकि अफगानिस्तान को कुछ घंटे के अंदर ही सहानुभूति और सहायता दी गई।
वित्त मंत्री चीमा ने प्रधानमंत्री में सहानुभूति की कमी की ओर इशारा करते हुए कहा कि दुखी परिवारों, जिन्होंने अपने प्रियजनों को खोया, किसानों, जिनकी फसलें तबाह हुईं, और मजदूरों, जिनके घर बह गए, से मिलने की बजाय प्रधानमंत्री ने उनके जख्मों पर नमक छिड़क दिया। उन्होंने अफ़सोस जताया कि प्रधानमंत्री ने उन माताओं के आंसू नहीं पोछे जिनके पुत्र मारे गए, उन बहनों के हाथ नहीं थामे जिनके भाई मारे गए, उन पत्नियों के साथ नहीं खड़े हुए जिन्होंने बाढ़ में पति गवाए, और उन बच्चों का सहारा नहीं बने जिनके माता-पिता चले गए, बल्कि वे केवल अपने राजनीतिक स्वार्थ साधने पंजाब आए थे।
वित्त मंत्री चीमा ने उस घटना पर भी कड़ा विरोध व्यक्त किया, जहाँ प्रधानमंत्री मोदी ने पंजाब के कैबिनेट मंत्री हरदीप सिंह मुंडियां, जो 20,000 करोड़ रुपए के राहत पैकेज की मांग कर रहे थे, को कहा, "आपको हिंदी नहीं आती।" वित्त मंत्री चीमा ने इस टिप्पणी को पंजाब, उसके लोगों और पंजाबी भाषा का जानबूझकर किया गया अपमान करार दिया। कैबिनेट मंत्री मुंडियां की प्रधानमंत्री के साथ खिंचाई गई तस्वीरें प्रस्तुत करते हुए वित्त मंत्री चीमा ने कहा कि यह तस्वीर स्पष्ट रूप से मंत्री मुंडियां की मदद के लिए विनम्र अपील और प्रधानमंत्री के अहंकार को दर्शाती है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा पंजाबी भाषा का अपमान करना और बाढ़ पीड़ितों के प्रति आंखें चुराना पंजाब के प्रति उनकी नफरत को प्रदर्शित करता है। उन्होंने कहा कि हम हिंदी भाषा का सम्मान करते हैं, जिसे हमारे अधिकांश लोग स्कूल में पढ़ते हैं, लेकिन भाषा के आधार पर चुनी गई राज्य सरकार के कैबिनेट मंत्री को नीचा दिखाना सिर्फ अहंकार नहीं, यह संघीय ढांचे के साथ विश्वासघात है।
वित्त मंत्री चीमा ने कहा कि प्रधानमंत्री अभी भी तीन काले कृषि कानूनों को रद्द करने के प्रति नाराज हैं, जिन्हें पंजाब के किसानों के लंबे विरोध के बाद वापस लिया गया था। उन्होंने कहा कि गलती से बनाए गए कानूनों को वापस लेना कोई बड़ी बात नहीं है और इसके लिए किसी को अपने लोगों के प्रति नफरत नहीं रखनी चाहिए। उन्होंने प्रधानमंत्री से अनुरोध किया कि वे अपने दिल और दिमाग से पंजाबियों के प्रति नफरत को दूर करने के लिए 10 दिन का पछतावा करें।
अपना संबोधन समाप्त करते हुए, वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने असली बाढ़ प्रभावित नागरिकों की बजाय भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रतिनिधियों और कार्यकर्ताओं से मिलने के प्रधानमंत्री के फैसले की कड़ी निंदा की। उन्होंने भाजपा नेताओं की तस्वीरें साझा कीं, जिन्हें बैठक के दौरान बाढ़ पीड़ितों के रूप में दिखाया गया था। वित्त मंत्री ने कहा कि यदि प्रधानमंत्री केवल अपने पार्टी कार्यकर्ताओं से ही मिलना चाहते थे तो उन्हें पंजाब आने और इस नाटकीय प्रदर्शन को पेश करने की बजाय उन्हें दिल्ली बुलाकर चाय-पार्टी करनी चाहिए थी।

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