जालंधर में ईज़ी रजिस्ट्री प्रणाली के पूरे हुए दो महीने, जनता के मिले-जुले अनुभव
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जालंधर, 3 सितंबर : जालंधर जिले में शुरू की गई ईज़ी रजिस्ट्री प्रणाली को आज पूरे दो महीने पूरे हो चुके हैं। पंजाब सरकार द्वारा भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने और रजिस्ट्री प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से शुरू की गई इस प्रणाली ने जहां कई सकारात्मक नतीजे दिए हैं, वहीं आम जनता और वकीलों के बीच इसके लेकर कई सवाल भी उठ खड़े हुए हैं।
शुरुआत में इस प्रणाली का उद्देश्य था कि आवेदकों को रजिस्ट्री के काम में पारदर्शिता, समय की बचत और बेवजह की दौड़-धूप से राहत मिले। रजिस्ट्री संबंधी सभी कार्य ऑनलाइन स्लॉट बुकिंग और ई-गवर्नेंस के ज़रिये किए जाने लगे। इससे दलालों की भूमिका लगभग खत्म हो गई और लोगों को सीधे सरकारी व्यवस्था के तहत ही काम करवाने की सुविधा मिली। बहुत से लोगों ने इसे स्वागतयोग्य कदम बताते हुए कहा कि इससे रजिस्ट्री प्रक्रिया में लंबे समय से जमे भ्रष्टाचार पर काफी हद तक अंकुश लगा है। दो महीने बाद ईज़ी रजिस्ट्री प्रणाली की तस्वीर साफ है कि यह भ्रष्टाचार के खिलाफ एक कारगर हथियार तो बनी है, लेकिन इसके सही मायनों में सफल होने के लिए अभी कई सुधार किए जाने बाकी हैं।
इसकी जटिलता एवं आम नागरिकों के लिए कठिनाई भरी होने को लेकर उठ रहे सवाल
हालांकि, प्रणाली के दो महीने पूरे होने के साथ ही इसके कुछ नकारात्मक पहलू भी सामने आए हैं। कई लोग इसे जटिल बताते हुए कहते हैं कि ऑनलाइन स्लॉट बुकिंग और दस्तावेज़ अपलोड की प्रक्रिया आम नागरिकों के लिए कठिन है। कई बार तकनीकी दिक्कतों के चलते समय पर रजिस्ट्री नहीं हो पाती, जिससे आवेदकों को हताशा और निराशा झेलनी पड़ती है। वकीलों और प्रॉपर्टी डीलरों का एक वर्ग भी इसे लोकहित के खिलाफ मानते हुए कहता है कि यह प्रणाली समय खराब करने वाली साबित हो रही है।
सफेद हाथी साबित हो रहे डीड असिस्टैंस काऊंटरों को लेकर हो रही सबसे बड़ी आलोचना
सबसे बड़ी आलोचना उन डीड असिस्टैंस काउंटरों को लेकर हो रही है, जिन्हें जनता की सुविधा के लिए स्थापित किया गया था। ये काउंटर शुरू से ही ‘सफेद हाथी’ साबित हो रहे हैं। आज तक यहां किसी भी तरह की स्पष्ट गाइडलाइन या सुविधाओं एवं उनकी फीस की सूची डिस्प्ले नहीं की गई। जनता को यह जानकारी तक नहीं है कि इन काउंटरों पर कौन-कौन सी सेवाएं उपलब्ध हैं और उनकी कीमत कितनी है। इसके अलावा, स्टांप पेपर मुहैया करवाने की सुविधा जोकि इस प्रणाली का अहम हिस्सा होनी चाहिए थी, वह भी अब तक लागू नहीं हो सकी है।
मॉडल टाउन निवासी किरनजीत कौर बताती हैं, “हमें उम्मीद थी कि डीड असिस्टैंस काउंटर पर सारी जानकारी आसानी से मिल जाएगी, लेकिन वहां जाकर तो उल्टा और ज्यादा कन्फ्यूजन होता है।”
जनता के बीच बना असमंजस, अधिक जनसुलभ बनाने पर दिया जाए ज़ोर
इस स्थिति को देखते हुए जनता के बीच असमंजस बना हुआ है। एक ओर लोग मानते हैं कि ईज़ी रजिस्ट्री प्रणाली भ्रष्टाचार को खत्म करने में एक बड़ा कदम है, वहीं दूसरी ओर इसकी अधूरी व्यवस्थाएं और खामियां आम नागरिकों के लिए परेशानी का सबब बन रही हैं।
सीनियर एडवोकेट राजीव कोहली का कहना है, “प्रणाली पारदर्शिता की दिशा में अच्छी है, लेकिन तकनीकी खामियों की वजह से कई बार मुवक्किलों का समय बर्बाद होता है। सरकार को इसे और सरल बनाना होगा।”
प्रशासनिक हलकों में भी माना जा रहा है कि यदि इस प्रणाली को और अधिक सफल बनाना है तो इसे जनसुलभ बनाना बेहद ज़रूरी है। डीड असिस्टैंस काउंटरों को सक्रिय किया जाए, वहां पर सुविधाओं एवं फीस की लिस्ट सार्वजनिक की जाए और साथ ही स्टांप पेपर उपलब्ध करवाने की सुविधा तत्काल लागू की जाए। साथ ही तकनीकी दिक्कतों को दूर करते हुए आवेदकों के लिए सरल मार्गदर्शन की व्यवस्था सुनिश्चित करनी होगी।

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