BACK DATE अष्टाम की मदद से जालंधर की तहसील में खेला जा रहा बड़ा खेल, 10 से 15 हज़ार हुआ रिश्वत का रेट !

पूरी तहसील में बैक-डेट अष्टाम खेल का मास्टरमाईंड है "प" अक्षर वाला शातिर महारथी
HNI EXCLUSIVE – अंदर की बात
प्रदेश सरकार द्वारा आम जनता की सहूलत के लिए जारी किए गए आदेश को कुछ लोग अपने निजी स्वार्थ एवं लालचवश गलत ढंग से इस्तेमाल करते हुए अपनी जेबें भरने का काम करते हैं और इसके लिए चाहे कोई भी कानून तोड़ना पड़े या फिर उसे तोड़मरोड़कर ही आंखों में धूल झोंकने जैसा काम करना पड़े उक्त लोग ऐसा करने से पीछे नहीं हटते हैं। कुछ ऐसे ही हालात जालंधर की तहसील में देखने को मिल रहे हैं, जहां पंजाब सरकार के एक आदेश की आड़ में एक बहुत बड़ा खेल खेला जा रहा है। इस पूरे खेल में कुछ वसीका नवीस, खुद को वसीका नवीस बताने वाले निजी करिंदे एवं सरकारी तंत्र भी शामिल है।
क्या है बड़ा खेल, कैसे सरकारी आदेश को रहे तोड़-मरोड़ ?
आम जनता को अवैध कालोनियों में खरीदे गए प्लाट की रजिस्ट्रेशन करवाने के लिए काफी मुशिकलें पेश आ रही थी, जिसको देखते हुए प्रदेश सरकार द्वारा एनओसी की शर्त को खत्म कर दिया गया था। इसके लिए पावर आफ अटार्नी या फिर सेल एग्रीमैंट (स्टांप पेपर के ऊपर) किया हुआ अनिवार्य किया गया था। इसी आदेश को अब तोड़मरोड़कर रिश्वत का मोटा खेल खेला जा रहा है।
सूत्रों की मानें तो जालंधर तहसील में बैक डेट अष्टाम धड़ल्ले से खरीदे व बेचे जा रहे हैं। क्योंकि 31 जुलाई, 2024 से पहले की गई खरीदोफरोख्त के लिए ही एनओसी की शर्त को हटाया गया था। मगर न तो उक्त बैकडेट अष्टाम की राशी सरकारी नियमानुसार है और न ही उन्हें रजिस्टर्ज करवाया गया है। ऐसे में पुरानी रिश्वत जो बिना एनओसी के 10 हज़ार रूपए हुआ करती थी, अब नियमों को अनदेखा करने के लिए 15 हज़ार कर दी गई है। और खुलकर करप्शन का नंगा नाच जालंधर की तहसील में खेला जा रहा है। हालांकि यह रिश्वत वसीका नवीसों द्वारा अधिकारियों के नाम पर वसूली जा रही है, मगर उनके पास असल में कितने पैसे जा रहे हैं, इसको लेकर कुछ भी कहना गलत होगा। अब बैक-डेट वाले अष्टाम लगाकर अधिकारियों को चूना लगाया जा रहा है या फिर उनकी सहमति है, यह जांच का विषय है।
सरकार के आदेश से कैसे हुआ था आम जनता को फायदा ?
दी पंजाब अपार्टमैंट एंड प्रापर्टी रैगुलेशन (अमैंडमैंट) एक्ट, 2024 (PAPRA ACT) के तहत 31 जुलाई, 2024 तक पूरे पंजाब में 14 हज़ार अवैध कालोनियों के अंदर खरीदे गए 500 स्कवेयर यार्ड (लगभग 16.5 मरले) के प्लाट की रजिस्ट्रेशन के लिए एनओसी की शर्त को खत्म किया गया था। इसके साथ ही पहले से ही लागू 1995 पापरा एक्ट के सैक्शन 20 के अंदर एक नया सब-सैक्शन (5) जोड़ा गया था। सब-रजिस्ट्रार व ज्वाईंट सब-रजिस्ट्रार को संबधित अथार्टी (पुडा व नगर निगम आदि) को सभी रजिस्ट्रियों का ब्यौरा देना भी ज़रूरी किया गया था। इसके इलावा अगर जायदाद को टुकड़ों में बांटा नहीं जाता है तो आगे भी उसकी सेल-डीड रजिस्टर्ड की जा सकती है।
इतना ही नहीं सैक्शन 36 (1) को भी बदलकर अब पालना न करने वालों के लिए भी काफी सख्ती की गई थी। जिसमें सैक्शन 5 के तहत अब 5 से 10 साल की सज़ा व 25 लाख से 5 करोड़ जुर्माने का प्रावधान दिया गया है।
पूरी तहसील में बैक-डेट अष्टाम खेल का मास्टरमाईंड है "प" अक्षर वाला शातिर महारथी
वैसे हर किसी के लिए बैक-डेट अष्टाम खरीदना आसान नहीं होता है। मगर तहसील के अधिकतर फर्जीवाड़ों व स्कैंडल का कर्ताधर्ता "प" अक्षर वाला तहसील का शातिर महारथी ही है। सूत्रों की मानें तो इसके दिमाग की ही उपज है यह बैक-डेट अष्टाम स्कैंडल। और वसीका नवीसों व आम जनता को महंगे दाम पर पुरानी तारीख वाले अष्टाम यही उपलब्ध करवा रहा है।

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