"मेरी पहुंच बहुत ऊंची और तगड़ी है सेटिंग - मेरे खिलाफ कोई कार्रवाई हो ही नहीं सकती" !
आरटीओ दफतर जालंधर में हालात हुए बद से बदतर, कानून को रखा ताक पर, केवल जेब गर्म करने वालों को मिल रही सुविधा
वैसे तो कानून सभी के लिए एक समान होता है लेकिन जालंधर के आरटीओ दफ्तर में शायद अधिकारियों का यह मानना है कि कानून केवल उन लोगों के लिए है जो उनकी जेब गर्म नहीं करते हैं। और जो लोग कर्मचारियों की जेब गर्म कर देते हैं उनके लिए सभी तरह के कानून ताक पर रखते हुए हर प्रकार के गलत काम करने से गुरेज नहीं किया जाता।
जालंधर के एआरटीओ जिनकी जिम्मेदारी है कि जो लोग अपने वाहनों के दस्तावेज पूरे नहीं करते एवं कानून का उल्लंघन करते हैं उनके चालान काटकर उनसे बनता जुर्माना वसूलकर सरकारी खजाने में जमा कराया जाए। कुछ दिन पहले ही इनको लेकर काफी खबरें प्रकाशित की गई थी जिसमें खुद उनकी निजी गाड़ी एवं उनके ड्राइवर की निजी गाड़ी के दस्तावेज अधूरे थे मगर आज तक उन्होंने इन्हें पूरा करवाने की सहमत तक नहीं उठाई। उसके बाद उनके ड्राइवर द्वारा गैर कानूनी ढंग से बिना अधिकारी की मौजूदगी में कानून का उल्लंघन करने वाले शब्द किए गए वाहनों को बिना किसी रसीद काटे केवल कच्ची पर्ची के ऊपर कैश पैसे लेकर छोड़ने का मामला काफी सुर्खियों में आया था।
इस मामले में उच्च अधिकारियों द्वारा संबंधित अधिकारी की फटकार लगाई जाने की भी सूचना प्राप्त हुई थी। मगर एक चिकने घड़े की भांति जालंधर के इस दफ्तर के अधिकारियों के ऊपर शायद कोई असर ही नहीं होता है। जिसका जीता जागता परिणाम है हाल ही में ज़ब्त की गई एक गाड़ी को रिलीज किए जाने का मामला । सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार जिस गाड़ी को रिलीज किया गया है वह पिछले कई दिनों से ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक के ऊपर खड़ी थी और इसे जुर्माना लेकर छोड़ दिया गया है।
मगर सबसे बड़ी हैरानी वाली बात यह सामने आ रही है कि इस गाड़ी की फिटनेस एक्सपायर हुए कई साल बीत चुके हैं, 2016 के बाद इसकी इंश्योरेंस नहीं करवाई गई, इसका टैक्स भी केवल 2018 तक ही भुगतान किया गया नजर आ रहा है। सरकारी साइट के ऊपर जहां हर वहां का डाटा दर्ज किया जाता है और जिसे कोई भी देख सकता है वहां इस गाड़ी को लेकर कई तरह की खामियां देखने को मिल रही है। बावजूद इसके संबंधित अधिकारी ने न जाने किस दबाव के तहत इस गाड़ी को रिलीज कर दिया है।
यह गाड़ी जो शहर के एक बेहद प्रतिष्ठित स्कूल के बच्चों को लेकर जाती है, उसे गाड़ी को 10 दिन ट्रैक पर खड़े रखने के बाद किस सेटिंग के तहत बिना बाकी की कमियों को पूरा करवा छोड़ गया अपने आप में कई तरह के सवाल खड़े करता है।
सूत्रों का कहना है कि मौजूदा समय के अंदर संबंधित अधिकारियों द्वारा निजी शुल्क लेकर सरकारी खजाने में छेद किया जा रहा है और जो लोग उनको सेवा पानी दे देते हैं उनके लिए हर नियम व कायदे कानून को ताक पर रख दिया जाता है।
हर बार की तरह इस बार भी संबंधित अधिकारी ने मीडिया का फोन उठाना मुनासिब नहीं समझा और यह बात भी सामने आ रही है कि उनका कहना है कि मेरे खिलाफ चाहे जितनी भी खबरें लग जाएं और मैं चाहे सबूत साहित्य ही पड़ा जाऊं मेरा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता क्योंकि मेरी बहुत ऊंची पहुंच है और तगड़ी सेटिंग है जिसके चलते मेरे खिलाफ कोई भी कार्रवाई हो ही नहीं सकती।
सोचने वाली बात है कि प्रदेश की आम आदमी पार्टी सरकार एवं कम भगवंत मान द्वारा बार-बार किया जा रहे दावों को इस तरह के अधिकारी किस तरह से खोखला साबित करने में पूरा जोर लगाते दिखाई दे रहे हैं और न जाने किस मजबूरी वर्ष उच्च अधिकारी आज भी अपनी आंखें मूंदे बैठे हैं।
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