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मनपसंद सीट से हुआ तबादला, नहीं आया रास, एक डीआरओ व एक तहसीलदार पहुंचे हाईकोर्ट !

PUBLISH DATE: 02-10-2024

31 अगस्त को हुए ट्रांसफर आर्डर पर अदालत ने जारी किया स्टे, सरकार को नोटिस भी जारी


 


वैसे तो कुर्सी आनी-जानी चीज़ है, कभी एक को मिलती है तो कभी कोई दूसरी उसके ऊपर बैठता है। सरकारी अधिकारियों व कर्मचारियों के लिए ट्रांसफर होना एक आम बात है। रूटीन में उनके तबादले होते रहते हैं और वह सालों-साल सरकार के आदेशानुसार अपनी नौकरी करते रहते हैं। मगर कई बार कुछ अधिकारियों का किसी एक जगह पर इतना मोह बढ़ जाता है, कि उन्हें लगता है कि उनका तबादला किसी अन्य जगह पर न किया जाए, फिर चाहे इसके लिए कोई भी रास्ता अख्तियार क्यों न करना पड़े।


ऐसा ही एक मामला हाल ही में 31 अगस्त, 2024 को प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेश के 12 ज़िला माल अफसरों के साथ-साथ 74 तहसीलदार व नायब तहसीलदारों के तबादले का आदेश जारी किया गया था। इसमें 2 अधिकारी – एक डीआरओ व एक तहसीलदार ऐसे हैं, जिन्हें अपनी पुरानी मनपसंद सीट से तबादला किया जाना रास नहीं आया और वह इस आदेश के खिलाफ सीधा हाईकोर्ट पहुंच गए। जहां उनके तबादले के आदेश पर अदालत ने स्टे जारी करते हुए सरकार को नोटिस आफ मोशन भी जारी किया है।


क्या है मामलास किस-किस अधिकारी ने कौन सी वजह से हाईकोर्ट में दायर की है याचिका ?


माननीय हाईकोर्ट में दायर याचिका के अनुसार ज़िला माल अफसर अरविंद प्रकाश वर्मा जिनका तबादला होशियारपुर से मानसा किया गया था और जिनकी जगह जसकरणजीत सिंह को लगाया गया था। उनकी तरफ से माननीय अदालत में कहा गया है कि उनकी रिटायरमैंट को केवल 6 महीने की समय शेष बचा है। ऐसे में उन्हें पुरानी जगह या फिर उनकी मनपसंद जगह पर रहने देने की जगह उनका गल्त ढंग से मानसा तबदला कर दिया गया। जिसके तहत अदालत ने सरकार के 31 अगस्त वाले आदेश पर स्टे जारी करते हुए सरकार को नोटिस जारी कर दिया है।


इसी तरह से एक अन्य मामले में तहसीलदार मनिंदर सिंह सिद्दू ने भी हाईकोर्ट में इसी आदेश के खिलाफ याचिका दायर करते हुए कहा है, कि पिछले 2 साल के दौरान उनका 10 बार ट्रांसफर किया गया। जबकि एक स्टेशन पर कम से कम 3 साल और अधिक से अधिक 5 साल तक रहने का समय तय है। इतना ही नहीं उनके पूरे कार्यकाल की अवधि में उनके खिलाफ एक भी शिकायत दर्ज नहीं हुई है। वह 57 साल की आयु के हैं और जल्दी ही उनका सेवाकाल भी खत्म होने वाला है। ऐसे में उनका शाहकोट से अहमदगढ़ तबादला किया जाना सरासर गलत है। अदालत ने भी सरकार के 31 अगस्त वाले आदेश पर स्टे जारी करते हुए सरकार को नोटिस जारी कर दिया है।


अब आने वाले समय में यह देखने वाली बात होगी कि अदालत के इस आदेश का मौजूदा परिस्थितियों में क्या असर देखने को मिलता है। जहां तक डीआरओ व तहसीलदार के तबादले का सवाल है तो केस की अगली तारीख तक सरकार के आदेश पर स्टे जारी होने की वजह से दोनों का पहले वाली सीट पर ज्वाईन करना लगभग तय माना जा रहा है। मगर अदालत में सरकार क्या जवाब देती है और उसके बाद अदालत का अंतिम फैसला क्या रहता है, यह आने वाला वक्त ही बेहतर बता सकता है। मगर तब तक एक नई चर्चा ज़रूर छिड़ गई है, कि आखिर एक सीट के साथ अधिकारियों को इतना लगाव क्यों है, जिस कारण वह अदालत का दरवाज़ा खटखटाने तक को मजबूर हो गए हैं।