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अगर कसूर निकलता है ताे चाहे सरेआम लगा दाे फांसी, मगर बिना किसी पड़ताल के इतना प्रताड़ित ताे न करो - राजेश चौधरी

PUBLISH DATE: 13-09-2024

कहा - सरकार, विभाग और पुलिस जब चाहे करे जांच, इस तरह से बदनाम करके इंसाफ व न्याय का मौका ताे न छीना जाए !


 


पिछले 2 दिनाें से न केवल शहर बल्कि पूरे प्रदेश में सबसे अधिक चर्चा का विषय बना हुआ है, जिसमें जालंधर कमिशनरेट पुलिस द्वारा एक ही दिन मिति 20-07-2024 काे एक साथ 2 एफआईआर काटी गई। और इसमें सबसे खास बात यह थी, कि उक्त दाेनाें एफआईआर करवाने के लिए शिकायतकर्ता और काेई नहीं बल्कि खुद चेयरमैन जालंधर इंप्रूवमैंट ट्रस्ट जगजीत सिंह संघेड़ा थे। यह दाेनाें ही एफआईआर जालंधर इंप्रूवमैंट ट्रस्ट के मुलाज़िमाें के खिलाफ काफी संगीन धाराओं के अंतर्गत काटी गई हैं। एक एफआईआर मौजूदा सरकारी अफसर एक ईओ के खिलाफ दर्ज की गई है। और एक एफआईआर में 3 कलर्काें काे दाेषी बनाया गया है, जिसमें से एक ताे 4 महीने पहले रिटायर भी हाे चुका है। जबकि दूसरा जालंधर दफ्तर में ही तैनात है। इन दाेनाें एफआईआर काे लेकर न केवल जालंधर इंप्रूवमैंट ट्रस्ट बल्कि पूरे लाेकल बाडी विभाग में हड़कंप सा मच गया है।


इस मामले में आराेपी ईओ राजेश चौधरी ने अपने सबसे पहले व एक्सलूसिव वार्तालाप में अपना दर्द बयान करते हुए ऑऐसे शब्द कहे, जिसकाे सुनकर काेई भी हक्का-बक्का रह जाएगा। राजेश चौधरी ने कहा कि अगर उनका कसूर साबित हाे जाता है ताे उन्हें सरेआम चाहे फांसी पर लटका दिया जाए। मगर बिना किसी कसूर के और बिना किसी जांच-पड़ताल के उन्हें व उनके पूरे परिवार काे इतना अधिक प्रताड़ित ताे न किया जाए।


उन्हाेंने कहा कि सरकार, उनका डिपार्टमैंट और पुलिस प्रशासन जब चाहे, जैसी चाहे इस मामले की पड़ताल करे वह अपना पूर्ण सहयाेग भी देने काे तैयार हैं, मगर जिस प्रकार से बिना विभाग से मंज़ूरी प्राप्त किए और एक पड़ताल हैड-आफिस में जारी हाेने के बावजूद सीधा शिकायत देकर एफआईआर दर्ज करवाकर उन्हें बदनाम करते हुए उनसे इंसाफ और न्याय का मौका तो न छीना जाए।


 



क्याें ईओ द्वारा अपने ऊपर दर्ज एफआईआर काे कहा जा रहा है गलत, क्या है उनका पक्ष  ?


ईओ राजेश चौधरी से जब इस बारे में बात की गई ताे उन्हाेंने कहा कि उनके ऊपर किया गया पर्चा बिल्कुल गलत है। मगर मुझे अपने पुलिस प्रशासन एवं न्यातंत्र पर पूर्ण विश्वास है कि मुझे इंसाफ ज़रूर मिलेगा। उन्हाेंने कहा कि चेयरमैन के पास काेई अधिकार ही नहीं है कि वह किसी भी सरकारी मुलाज़िम के खिलाफ पर्चे की सिफारिश के लिए पत्र लिख सकें। क्याेंकि बिना एगज़ूक्य़ूटिव आर्डर (समायत मंज़ूरी) के ऐसी कारवाई करना न्यायिक पक्ष से सही नहीं है।


अपने खिलाफ लगे इल्ज़ामाें काे लेकर उन्हाेंने कहा कि जालंधर इंप्रूवमैंट ट्रस्ट की एक स्कीम गुरू अमरदास नगर में प्लाट नं 460 जिसका रकबा लगभग 2 मरले है, उसकी रजिस्ट्री गैरकानूनी ढंग से करवाने के लिए कहा गया है। जबकि इस मामले की असलीयत यह है कि उनके पास मिति 12-10-2023 काे जालंधर इंप्रूवमैंट ट्रस्ट से एक पत्र प्राप्त हुआ था, जिसमें उनसे स्पष्टीकरण मांगा गया था, कि आखिर ज़ब्त की गई ज़मीन की कैसे अपने हस्ताक्षराें के साथ रजिस्ट्री करवा दी। 


जिसका बिना काेई समय गंवाए मिति 13-10-2023 काे उनकी तरफ से जवाब भेजा गया था, कि ज़ब्त की गई ज़मीन की रजिस्ट्री नहीं हाे सकती। इसके साथ ही जिस हस्ताक्षर की बात की जा रही थी, वह उनकी तरफ से नहीं किए गए थे। इसके इलावा उन्होंने ताे यहां तक कहा था, कि जालंधर इंप्रूवमैंट ट्रस्ट के सभी कर्मचारियाें की हैंड-राईटिंग के सैंपल लेकर उसकी फौरेंसिक जांच करवाई जाए, ताकि असली दोषियाें काे बनती सज़ा मिल सके।


ईओ की पत्नी ने भी सीपी के पास किसी सीनियर अधिकारी से पूरे मामले की इंक्वायरी लगाने की लगाई गुहार


सूत्राें से प्राप्त जानकारी के अनुसार चेयरमैन जालंधर इंप्रूवमैंट ट्रस्ट के ऊपर पुलिस काे गुमराह करने एवं बिना एगज़ूक्य़ूटिव आर्डर (समायत मंज़ूरी) व बिना किसी पड़ताल के सीधा पर्चे की सिफारिश करना कई सवाल खड़े करता है। इसलिए ईओ राजेश चौधरी की पत्नी भी सीपी जालंधर के पास इस मामले की पड़ताल करने हेतु गुहार लगाई है, ताकि किसी सीनियर अधिकारी से इस पूरे मामले में पड़ताल करवाकर इसमें दूध का दूध और पानी का पानी किया जा सके। इस बात की जानाकारी भी आ रही है, कि सीपी ने जैसे कर्लक मुख्तियार सिंह की पत्नी कुलदीप कौर की गुहार पर सीनियर अधिकारी के पास इंक्वायरी मार्क की थी, वैसे ही ईओ की इ्क्वायरी मार्क कर दी है।