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आरटीओ दफ्तर में पैंडेन्सी का लगा अंबार, 18186 आवेदनों की नहीं हुई अप्रूवल !

PUBLISH DATE: 27-08-2024

जनता कर रही त्राहिमाम-त्राहिमाम, नहीं हाे रही काेई सुनवाई !


 


आरटीओ दफ्तर जालंधर में इस समय आम जनता त्राहिमाम-त्राहिमाम करती हुई देखी जा सकती है। दरअसल प्राप्त जानकारी के अनुसार आरटीओ दफ्तर में इस समय पैंडेन्सी का ग्राफ इतना ज्यादा बड़ चुका है कि आनलाईन आवेदनाें का अंबार लगने के बाद भी इस पैंडेन्सी काे खत्म करने के लिए दफ्तर के अधिकारियाें व कर्मचारियाें की तरफ से काेई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। 


सुबह से लेकर शाम तक आरटीओ दफ्तर में अपने-अपने आवेदनों की जानकारी लेने वालाें का तांता लगा रहता है, मगर अधिकतर समय आरटीए अपने दफ्तर में मौजूद ही नहीं रहते। जिस वजह से आवेदकाें काे मायूस हाेकर वापिस लौटना पड़ रहा है। 


इतना ही नही यहां काम करने वाले कलर्क भी आम जनता काे काेई संताेषजनक जवाब नहीं दे पाते। उनका यही कहना हाेता है कि अप्रूवल का काम साहिब खुद निजी तौर पर देखते हैं और वह कब कौन सा अप्रूवल करेंगे, इसका उन्हें कुछ भी पता नहीं है।


क्या है पैंडेन्सी के आनलाईन आंकड़े ?



परिवहन विभाग की आनलाईन साईट वाहन सेवा के अंदर मौजूद आंकड़ाें के अनुसार जालंधर आरटीओ दफ्तर के केवल आरसी के साथ संबंधित आवेदनाें में कुल 18186 आवेदन पैंडिंग पड़े हुए हैं। जिसमें डीलरों के हैं 6222 आवेदन, मामूली पैंडेन्सी वाले हैं 291 आवेदन, परमिट के साथ संबंधित 459, आरसी के हैं 10795, ट्रेड सर्टिफिकेट के 46, टैक्स के साथ संबंधित हैं 326 आवेदन। इसके इलावा 9473 आवेदन अलग से ऐसे हैं जाे अभी तक आरटीओ दफ्तर नहीं पहुंचे मगर यह भी पैंडेन्सी का ही हिस्सा माना जा सकता है। ऐर अगर इन्हें भी जाेड़ दिया जाए ताे पैन्डेसी की कुल संख्या 27 हज़ार के पार हाे जाएगी। 



 



आनलाईन आंकड़े व असलीयत में है काफी फर्क, फिर भी पहल के आधार पर खत्म हाेगी पैंडेन्सी - आरटीओ


आरटीओ जालंधर अमनप्रीत सिंह से जब इस बारे में बात की गई ताे उन्हाेंने कहा, कि उनका निरंतर प्रयास रहता है कि पैंडेन्सी काे जल्द  से जल्द निपटाया जाए। मगर स्टाफ की कमी के चलते कई बार थाेड़ी पैन्डेसी रह जाती है। जहां तक वाहन सेवा में आनलाईन आंकड़ाें का सवाल है, वह सही आंकड़े नहीं है। इस संबधी कई बार हैड आफिस में लिखा जा चुका है, कि इन आंकड़ाें काे सही करवाया जाए। असलीयत में पैंडेसी के आंकड़े काफी कम हैं। फिर भी हमारा प्रयास है कि आम जनता की सुविधा काे ध्यान में रखते हुए हमारे दफ्तर की सारी पैंडेसी जल्दी ही खत्म की जा सके।