हाल-ए-लायन्स क्लब, नए प्रधान की ताजपाेशी के अगले ही दिन पूर्व प्रधान ने फैंका
समाराेह के खर्च, बढ़ाई गई मैंबरशिप फीस एवं 2 पूर्व प्रधानाें का इस्तीफा गल्त ढंग से मंजूर करने काे लेकर उठाए सवाल !
लायन्स क्लब जाे पूरे विश्व में समाज सेवा के क्षेत्र में एक अग्रणी संस्था है। इस संस्था में समाज के अलग-अलग वर्गाें से अपने-अपने कार्यक्षेत्र में अलग पहचान स्थापित करने वाले लाेग लाेक-कल्याण, गरीब वर्ग के उत्थान, समाज सेवा काे मुख्य रखते हुए सदस्य बनते हैं। हर साल कराेड़ाें रूपए दान स्वरूप ज़रूरतमंदाेें तक लायन्स क्लब के माध्यम से पहुंचाए जाते हैं। इतना ही नहीं लाेगाें काे मुफ्त या फिर कम कीमत पर अच्छा इलाज उपलब्ध करवाने की दिशा में भी लान्यस क्लब की तरफ से निरंतर प्रयास किए जाते रहते हैं।
भारत में अगर पंजाब की बात की जाए ताे दोआबा क्षेत्र में जालंधर के लायन्स कल्ब जालंधर (जिसे मेन क्लब भी कहा जाता है) उसका नाम पूरे विश्व में बेहद गर्व के साथ लिया जाता है। इस क्लब का सदस्य हाेना किसी बड़े सम्मान से कम नहीं है। और अगर काेई व्यक्ति इस क्लब में बतौर प्रधान, कार्यकारिणी का हिस्सा या फिर पूर्व प्रधान या सीनियर पदाें पर काम कर चुके सदस्याें में से काेई है, ताे वह अपने-आप में एक मिसाल कायम करने वाले बेहद सम्माननीय गणमान्य के तौर पर जाने जाते हैं।
अपने काराेबार एवं घर-परिवार काे छाेड़कर अपने व्यस्त रूटीन से खास तौर पर समय निकालकर मानवता की सेवा करने वाले ऐसे लोगाें की जितनी तारीफ की जाए, कम हाेगी। मगर न जाने क्याें निष्काम भाव से काम करने वाली ऐसी संस्था में भी राजनीतिक रंगत नज़र आने लगती है।
अब बात करें एक संदेश की जिसने शनिवार शाम काे एक तूफान का काम किया। दरअसल मौजूदा नए प्रधान श्रीराम आनंद की ताजपाेशी के ठीक अगले दिन पूर्व प्रधान अश्विनी सहगल ने एक संदेश कई व्हाटसएप ग्रुपों में भेजा, जिसे किसी "MESSAGE BOMB" से कम नहीं कहा जा सकता। यह "MESSAGE BOMB" मीडिया के पास भी पहुंचा।
इस पूरे घटनाक्रम के बाद शहर में एक नई चर्चा छिड़ गई कि आखिर एक पूर्व प्रधान काे अपने ही क्लब के नए चुने गए प्रधान के खिलाफ इस तरह से माेर्चा क्याें खाेलना पड़ा ? क्या इस तरह से सार्वजनिक रूप से क्लब की अंदरूनी बाताें काे बाहर लाना ठीक ठहराया जा सकता है ? क्या पूर्व प्रधान द्वारा खड़े किए सवाल सरासर झूठे एवं बेबुनियाद हैं ? क्या वाकई में लायन्स क्लब के हालात अंदर ही अंदर खराब हाेने लगे हैं ? क्या आपसी प्यार और सदभाव का संदेश देने वाली इस स्वयंसेवी संस्था के अंदर वाकई कुछ गलत काम हाे रहे हैं ? क्या यहां राजनीतिक आपसी रिश्चताें पर भारी हाे चुकी है ?
क्या है "MESSAGE BOMB" और इसे फैंकने वाले पूर्व प्रधान का क्या है पक्ष ?
पहले बताते हैं कि "MESSAGE BOMB" में आखिर क्या लिखा गया है ? असल में पूर्व प्रधान अश्विनी सहगल ने एक संदेश कई व्हाटसएप ग्रुपों में भेजा है जिसमें लिखा गया है, कि गत दिवस बेहद विशाल स्तर पर किए गए ताजपाेशी समाराेह में 2 लायन सदस्याें राजीव खाेसला एवं मितुल चाेपड़ा से काफी बड़ी राशी ली गई है। जिसका इस्तेमाल किसी समाज सेवा के नेक काम में किया जाता, ताे बेहतर हाेता। इसके बाद उनकी तरफ से मौजूदा प्रधान से सवाल किया गया है कि गत दिवस समाराेह पर जो भी खर्च हुआ वह उनकी जेब से हुआ या फिर क्लब के फंड से इस्तेमाल किया गया है।
इसके बाद दूसरा सवाल पूछा गया कि उनकी जानकारी में यह बात आई है कि 2 पूर्व प्रधानाें का इस्तीफा बिना बाेर्ड आफ डायरैक्टर एवं जनरल हाऊस में लाए अपने स्तर पर ही स्वीकार कर लिया गया।
इसके बाद मौजूदा कार्यकाल के दौरान 1 हज़ार रूपए बढ़ाई गई मैंबरशिप फीस काे लेकर भी सवाल खड़ा किया गया है।
अश्वनी सहगल से जब हमने इस बारे में सवाल किया ताे उन्हाेंने कहा कि लायनस क्लब सबकी सांझी संस्था है और यहां आने वाले एक-एक पैसे का सदुपयाेग हाेना चाहिए। क्याेंकि समाराेह से पहले भी बैंड-बाजा व अन्य फालतू खर्च न करने काे लेकर राय दी गई थी, मगर उसे नहीं माना गया। इतना ही नहीं 2 बेहद सीनियर सदस्य एवं पूर्व प्रधान जीडी कुंद्रा व एफसी सभ्रवाल का इस्तीफा तुरंत बिना किसी बात के स्वीकार कर लिया गया। यह जानने का भी प्रयास नहीं किया गया, कि आखिर उन्हाेंने इस्तीफा दिया क्यों। इतना ही नहीं ताजपाेशी के समाराेह के लिए छपवाए गए विशेष निमंत्रण-पत्र से केवल इन दाे पूर्व प्रधान का नाम गायब करना भी अपने आप में कई सवाल खड़े करता है।
कुछ भी गल्त नहीं हुआ, सब कुछ बाेर्ड आफ डायरैक्टर की सलाह से ही किया जाता है - श्रीराम आनंद
इस मामले में जब मौजूदा प्रधान श्रीराम आनंद से बात की गई ताे उन्होंने कहा कि क्लब में कुछ भी गलत नहीं हुआ है। जाे भी फैसला लिया जाता है, वह पूरी पारदर्शिता के साथ बाेर्ड आफ डायरैक्टर की सलाह से ही लिया जाता है। जहां तक अश्विनी सहगल द्वारा भेजे गए संदेश का सवाल है ताे उनकी तरफ से साफ कर दिया गया है कि इस तरह से सार्वजनिक रूप से बात रखना गलत् है। अगर उन्हें काेई बात करनी है ताे वह सही प्राेसीजर के साथ बाेर्ड आफ डायरैक्टर की मीटिंग में रखें। उन्हें हर जवाब दे दिया जाएगा।
देखें निमंत्रण-पत्र की फाेटाे जिसमें 2 पूर्व प्रधान का नाम गायब करने के लगे हैं इल्ज़ाम
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