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ज़मीन एक इलाके में, पर रजिस्ट्री करवाई दूसरे में – रैवेन्यु अधिकारियों की आंखों में झोंकी धूल, किया फर्ज़ीवाड़ा !

PUBLISH DATE: 05-02-2025

डीसी, सीएम व विजीलैंस के पास शिकायत भेजने की हो रही तैयारी 


(एक्सलूसिव स्टोरी - स्कैंडल पर्दाफाश)


जालंधर की तहसील (JALANDHAR TEHSEEL) जो अपने अजब-गजब कारनामों को लेकर पूरे प्रदेश (STATE) में सबसे पहले नंबर पर आती है। यहां आए दिन किसी न किसी जालसाजी (FRAUD) की खबरें आती रहती हैं। यहां के अधिकारी (OFFICERS) व कर्मचारियों (EMPLOYEES) के साथ-साथ आम जनता (COMMON PEOPLE) के लिए अब यह एक आम बात बन चुकी है। मगर न जाने क्या कारण है कि सबूत होने के बावजूद अधिकारी जालसाजी करने वालों पर मेहरबानी क्यों बनाए रखते हैं ? आखिर ऐसी कौन सी मजबूरी है कि गलत काम करने वाले दिन-प्रतिदिन दंबग होते जा रहे हैं और संबंधित अधिकारी कुंभकर्णी नींद सो रहे हैं ?


हाट न्यूज़ इंडिया (HOT NEWS INDIA) ने कुछ समय से तहसील में व्याप्त इस बहुत बड़े स्कैंडल (SCANDAL) का पर्दाफाश (EXPOSE) करने का बीड़ा उठाया है, जिसके तहत हम लगातार अपने पाठकों (READERS) तक यहां होने वाले बड़े-छोटे स्कैंडल से अवगत करवा रहे हैं। हालांकि इन स्कैंडल के उजागर होने से कुंभकर्णी नींद सोए अधिकारियों की नींद अभी भी नहीं खुली है और न ही दोषियों के खिलाफ कोई कारवाई की गई है। मगर हम अपनी नैतिक ज़िम्मेदारी (MORAL DUTY) का निर्वाह करते हुए लगातार आपके सामने ऐसे मामले लाने का काम जारी रखे हुए हैं।


तहसील सूत्रों (TEHSEEL SOURCES) से मिली जानकारी के अनुसार एक बेहद अनूठा फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है, जिसमें तहसील के अंदर की काम करने वाले एक व्यक्ति ने दस्तावेज़ों में एक इलाके के खसरा नंबर डालकर किसी अन्य इलाके के ज़मीन की रजिस्ट्री (REGISTRY) करवा ली। इस पूरे मामले में फर्जीवाड़ा करते समय बेहद सावधानी बरती गई और सीधा-सीधा रैवेन्यु अधिकारियों (REVENUE OFFICERS) की आंखों में धूल झोंकते हुए गलत काम को अंजाम दे दिया।


क्या है मामला, कैसे आया सामने, कैसे हुआ फर्जीवाड़ा ?


तहसील सूत्रों से मिली जानकारी व भेजे गए सबूतों के अनुसार साल 2012 में लगभग 8 मरले के एक प्लाट (PLOT) की रजिस्ट्री करवाई गई। जिसमें उक्त प्लाट गांव बुलंदपुर (BULANDPUR) तहसील व ज़िला जालंधर लिखा गया। इसके बाद उक्त प्लाट को जब तहसील में ही काम करने वाले "प्रेम" नामक व्यक्ति ने अपनी पत्नी के नाम पर खरीदा तो उस समय गांव बुलंदपुर के साथ नज़दीक न्यू बंचित नगर (NEW BANCHITT NAGAR), रेरू (RERU) तहसील व ज़िला जालंधर लिखा गया।


अब सोचने वाली बात है कि आखिर कैसे बुलंदपुर में स्थित एक प्लाट को रजिस्ट्री में नज़दीक न्यू बंचित नगर, रेरू लिखा जा सकता है। क्योंकि बुलंदपर और रेरू में काफी अंतर है। इतना ही नहीं ज़मीनी हकीकत की बात की जाए, तो मौके पर जिस प्लाट की रजिस्ट्री करवाई गई और जिसका कब्ज़ा लिया गया वह बुलंदपुर में है ही नहीं, बल्कि रेरू में स्थित है। प्लाट की रजिस्ट्री करवाते समय आस-पास के जिन प्लाट व रास्ते का हवाला दिया गया है, वह बुलंदपुर में है ही नहीं। सूत्रों की मानें तो जो प्लाट बेचा व खरीदा गया उसका रैवेन्यु रिकार्ड (REVENUE RECORD) में कोई रकबा बाकी बचता ही नहीं था। मगर रैवेन्यु रिकार्ड के अंदर बेचने वाले का रकबा बुलंदपुर इलाके में बचा हुआ था। जिसका फायदा उठाते हुए इस फर्जीवाड़े को अंजाम दिया गया।


 



 


यहां बताने लायक है कि यह प्रेम नामक व्यक्ति वही है जो पहले तहसील कांपलैक्स के अंदर 262 नं बूथ पर बैठकर अपनी ठगी की दुकान चला रहा था। मगर बाद में पुडा की एक ज़मीन के लिए नगर निगम की क्लासीफिकेशन लगाने एवं एक जाली एनओसी लगाकर रजिस्ट्री करवाने को लेकर काफी चर्चा में आया था। बाद में इसने अपनी काली कमाई के दम पर तहसील के बाहर एक बूथ ले लिया, जहां बैठकर अब यह तहसील के अधिकर गलत काम कर रहा है।


अब यह तो वही बात हो गई कि आपका घर तो माडल टाऊन (MODEL TOWN) में है पर आप अपने पते में लिखते समय नज़दीक गुरू तेग बहादुर नगर (GURU TEG BAHADUR NAGAR) लिख दें, तो सही एड्रैस (ADDRESS) का पता लगाना संभव ही नहीं हो सकता। 


वैसे इस पूरे मामले में मास्टरमाईंड के खिलाफ जल्दी ही डीसी, सीएम एवं विजीलैंस के पास सबूतों सहित लिखित शिकायत भेजने की भी तैयारी की जा रही है, ताकि देषियों के खिलाफ बनती कानूनी कारवाई की जा सके। 


इस मामले में क्या कहता है रजिस्ट्रेशन एक्ट, 1908 ?


रजिस्ट्रेशन एक्ट (REGISTRATION ACT) के माहिर सीनियर एडवोकेट (SENIOR ADVOCATE) भुपिंदर सिंह (लाली) (BHUPINDER SINGH) से जब इस बारे में बात की गई तो उन्होंने बताया, कि रजिस्ट्रेशन एक्ट, 1908 की धारा 82 व 83 के तहत अगर कोई भी व्यक्ति दस्तावेज़ रजिस्टर करवाते समय गलत बयान देता है, लेन-देन की झूठी कापियां देने, झूठी शख्सियतया उक्साने आदि जैसा काम करता है ते वह 7 साल की सज़ा या जुर्माना या दोनों का हकदार होता है।


रजिस्ट्रेशन करवाते समय देना पड़ता है हल्फिया बयान


रजिस्ट्रेशन एक्ट के माहिर सीनियर एडवोकेट भुपिंदर सिंह (लाली) से जब इस बारे में बात की गई तो उन्होंने बताया, कि नियमानुसार किसी भी दस्तावेज़ को रजिस्टर करवाते समय आवेदक की तरफ से एक हल्फिया बयान (SELF ATTESTED AFFIDAVIT) भी लगाया जाता है, जिसके अंदर साफ तौर पर रजिस्ट्रेशन एक्ट, 1908 की धारा 82 की पालना सुनिश्चित करने एवं उसके परिणाम से अवगत होने की बात लिखी जाती है।


क्या कहता है भारतीय न्याय संहिता, किस धारा में कितनी हो सकती है सज़ा ?


सीनियर एडवोकेट (SENIOR ADVOCATE) नवतेज मिन्हास (NAVTEJ MINHAS) से जब इस मामले में कानूनी राय मांगी गई तो उनका कहना था, कि जालसाजी में बीएनएस (BNS – BHARTIYA NYAY SANHITA) की धारा (SECTION) 318 में 3 साल तक की सज़ा, धारा 336 के तहत 2 साल तक की सज़ा, और अगर धारा 318 भी लग जाए तो 7 साल तक सज़ा का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि अगर किसी की वसीयत या रजिस्ट्री में फर्जीवाड़ा किया जाए तो भारतीय न्याय संहिता की धारा 338 के तहत आजीवन कारावास (IMPRISONMENT) तक का प्रावधान है।


हमारे पास नहीं आई शिकायत, अगर आती है तो होगी पड़ताल – सब-रजिस्ट्रार 2


सब-रजिस्ट्रार 2 (SUB REGISTRAR JALANDHAR-2) राम चंद (RAM CHAND) से जब इस बारे में बात की गई तो उन्होंने कहा कि कानून के साथ खिलवाड़ करने का अधिकार किसी के पास नहीं है। और अगर किसी भी दस्तावेज़ में गलतबयानी की जाती है तो उस सूरत में बनती कारवाई की जाती है। इस मामले में उनके पास फिल्हाल कोई शिकायत नहीं आई है, अगर आती है तो उसकी पड़ताल करके बनती कानूनी कारवाई की जाएगी।