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कोरोना काल में मृतकों को दी जाने वाली एक्श-ग्रेशिया राशी में हुआ करोड़ों का घपला !

PUBLISH DATE: 12-11-2024

डीसी दफ्तर के एक कर्मचारी ने 2 अन्य कलर्कों पर लगाए बेहद गंभीर आरोप, कहा सरकारी खज़ाने को लगाया लाखों-करोड़ों का चूना !


सीएम, चीफ सैक्रेटरी, स्पैशल डीजीपी विजीलैंस से लेकर कई उच्च-अधिकारियों को भेजी शिकायत, नहीं हुई कोई कारवाई – विजय कुमार


 


EXCLUSIVE STORY


 


शायद ही कोई ऐसा इंसान होगा जो कोरोना काल को भूला होगा। इस भयंकर महामारी ने हमें कई कुछ सिखाया। जीवन का असली उद्देश्य क्या है ? इंसानी जीवन का मूल्य क्या है ? स्वास्थय सेवाओं को लेकर ध्यान देना क्यों अनिवार्य है आदि कई सवाल हैं, जिनका जवाब ढूंढने के लिए इस महामारी ने सबको मजबूर कर दिया। इतना कुछ होने के बाद भी अगर कुछ लोग केवल अपने निजी स्वार्थ की पूर्ती करने को ही अपना एकमात्र उद्देष्य समझें व कोरोना काल के दौरान मृतकों के आश्रितों को सरकार द्वारा प्रदान की गई एक्स-ग्रेशिया राशी के केसों में ही करोड़ों रूपए का घपला कर लें, तो इससे घिनौना काम शायद ही कोई दूसरा हो सकता है।


जालंधर डीसी दफ्तर के 2 कलर्कों गुरशरणप्रीत कौर व विकास के खिलाफ कोरोना काल (साल 2019-20, साल 2020-21 एवं साल 2021-22) के दौरान मृतकों के आश्रितों को सरकार द्वारा प्रदान की गई एक्स-ग्रेशिया राशी के केसों में करोड़ों रूपए का घपला करने संबधी डीसी दफ्तर में ही काम करने वाले एक अन्य कर्मचारी विजय कुमार (तत्कालीन स्टैनो – तहसीलदार जालंधर-1)  ने उक्त बेहद गंभीर आरोप लगाते हुए प्रदेश के सीएम भगवंत मान, तत्कालीन चीफ सैक्रेटरी अनुराग वर्मा, तत्कालीन एफसीआर (रैवेन्यु) केएपी सिन्हा, तत्कालीन स्पैशल डीजीपी कम चीफ डायरैक्टर विजीलैंस वरिंदर कुमार, तत्कालीन डिवीज़नल कमिशनर गुरप्रीत कौर सपरा, तत्कालीन प्रिंसीपल सैक्रेटरी, डिपार्टमैंट आफ हैल्थ एंड फैमिली वैल्फेयर अजोय शर्मा के पास लगभग 8 महीने पहले की थी, मगर आज तक इस मामले में आरोपियों के खिलाफ न तो कोई उच्च-स्तरीय जांच ही की गई और न ही दोष सही पाए जाने की सूरत में कोई बनती कारवाई ही की गई। वैसे शिकायतकर्ता सरकारी मुलाज़िम ने अलग-अलग समय पर भेजी गई अपनी शिकायतों में भी इस बात को लेकर आरोप लगाए हैं कि उक्त दोषी कर्मचारियों को बचाने के लिए एड़ी-चोटी का ज़ोर लगाकर इस पूरे मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार आरोप लगने के बाद कुल 114 केस जो सामने आए थे उसमें से लगभग 94 केसों में रिकवरी हो चुकी है और उक्त राशी सरकारी खज़ाने में जमा भी करवाई जा चुकी है।


 


 



 


क्या है मामला, क्यों की गई शिकायत, क्या लगाए गए गंभीर आरोप ?


डीसी दफ्तर में ही काम करने वाले एक कर्लक विजय कुमार की तरफ से अन्य 2 कलर्कों गुरशरणप्रीत कौर व विकास के खिलाफ बेहद गंभीर आरोप लगाते हुए लिखित शिकायत में कहा गया है, कि उक्त दोनों सरकारी मुलाज़िमों ने कुछ अन्य कर्मचारियों व अधिकारियों के साथ मिलिभगत करके सरकारी ग्रांट व फंडों का दुरूपयोग करते हुए सरकार को लाखों-करोड़ों रूपए का चूना लगाया गया है। शिकायतकर्ता का कहना है कि 7 करोड़ 47 लाख 50 हज़ार की सरकारी ग्रांट उक्त कर्मचारियों की तरफ से एचडीएफसी बैंक लाजपत नगर के खाता नं 5010217866143 में जमा करवाई गई। नियमों के विपरीत उक्त राशी करंट अकाऊंट की जगह सेविंग अकाऊंट में जमा करवाई गई और इतनी बड़ी राशी के ब्याज की राशी जो लगभग 8-10 लाख बनती है, उसे हड़प लिया गया। इतना ही नहीं बहुत बड़ी गिनती में लाभप्राप्तियों को दी जाने वाली राशी एक बार की जगह दो बार दी गई व कुछ लोग जो कि लाभप्राप्ती थे ही नहीं, उनको भी गलत ढंग से उक्त ग्रांट दी गई। इस सबमें लगभग 40 लाख का बकाया अभी तक उक्त कर्मचारियों की तरफ से सरकारी खज़ाने में जमा नहीं करवाया गया है।


इतना ही नहीं उक्त कर्मचारियों को जारी की गई चार्जशीट को लेकर भी सवाल खड़े किए गए हैं। इसके इलावा सरकार की तरफ से 3 करोड़ 82 लाख 71 हज़ार 867 रूपए की जो राशी जारी की गई थी, उसमें से लगभग 28 लाख से अधिक के वाऊचर सरकार के पास आज तक नहीं भेजे गए हैं, जिससे बड़े घपले की आशंका सही साबित होती है।


इसीलिए शिकायतकर्ता ने उक्त मामले की विजीलैंस जांच करवाकर इस पूरे मामले का हाई-लैवल आडिट करवाकर बनती राशी सरकारी खज़ाने में जमा करवाने एवं दोषियों के खिलाफ बनती कानूनी कारवाई करने के लिए भी लिखा है।


अधिकारियों ने साधी चुप्पी, कोई भी कुछ बोलने के लिए तैयार ही नहीं


शिकायतकर्ता का कहना है कि इतना बड़ा घपला हो जाए, लाखों-करोड़ों रूपए का सरकार को चूना लग जाए, लिखित शिकायत तक दर्ज करवाई जाए, आरोपियों द्वारा कुछ राशी जमा भी करवाई जाए, मगर न जाने फिर भी ऐसी क्या मजबूरी है कि इतने बड़े मामले को दबाया जा रहा है। कोई भी अधिकारी इस मामले को लेकर कुछ भी बोलने के लिए तैयार ही नहीं है, सभी ने चुप्पी साधी हुई है। इससे साफ पता लगता है कि कहीं न कहीं कुछ गड़बड़ ज़रूर है।


डीसी के पास निजी तौर पर पेश होकर सबूतों सहित दी जानकारी, नहीं हुई कोई कारवाई – विजय कुमार


शिकायतकर्ता कलर्क विजय कुमार की तरफ से एक पत्र लिखकर सबूतों सहित डीसी के पास भी इस मामले को लेकर निजी तौर पर सारी जानकारी दी गई थी, मगर शिकायतकर्ता का कहना है कि आज तक इस संबधी कोई कारवाई ही नहीं की गई। उल्टा पूरे मामले को दबाकर शिकायतों को ठंडे बस्ते में डाला गया है।


 



 


डीसी दफ्तर इंपलाईज़ यूनियन की जालंधर इकाई ने शिकायतकर्ता कलर्क के खिलाफ खोल दिया मोर्चा


जहां एक तरफ एक सरकारी मुलाज़िम द्वारा अपने ही 2 अन्य सरकारी मुलाज़िमों पर बेहद गंभीर आरोप लगाते हुए जांच की मांग की गई है। वहीं अब इस मामले में एक नया मोड़ आया है, जिसमें डीसी दफ्तर इंप्लाईज़ यूनियन की जालंधर इकाई ने शिकायतकर्ता के खिलाफ ही खुलकर मोर्चा खोल दिया है।


प्राप्त जानकारी के अनुसार हाल ही में कुछ दिन पहले आरोपी कर्लकों को विजीलैंस द्वारा मामले की जांच के लिए बुलाया गया था, जिसके बाद ठंडा पड़ा यह मामला एक बार फिर से गर्मा गया। जिसके बाद यूनियन सदस्यों के एक प्रतिनिधिमंडल ने डीसी को एक पत्र सौंपकर शिकायतकर्ता कलर्क पर गंभीर आरोप लगाकर उसके खिलाफ कड़ी कारवाई करने की मांग की है, साथ ही साथ एक्स ग्रेशिया ग्रांट मामले में आरोपी कलर्कों को बेकसूर बताकर इस बात का ज़िक्र किया गया है, कि एफसीआर के आदेशानुसार उक्त मामले की जांच डीसी दफ्तर जालंधर में चल रही है, और डीसी दफ्तर इस मामले में उपयुक्त कारवाई करने के लिए पूरी तरह से समर्थ है।


हाट न्यूज़ इंडिया से विशेष बातचीत में यूनियन के प्रधान पवन कुमार ने कहा, कि शिकायतकर्ता कलर्क ने जो भी आरोप लगाए हैं वह सरासर गलत व बेबुनियाद हैं, उल्टा उक्त कलर्क के खिलाफ करप्शन की कई शिकायतें लंबित पड़ी हुई हैं, जिनके ऊपर कारवाई के लिए डीसी को लिखा गया है। इतना ही नहीं पदोन्नती के उपरांत उक्त कलर्क ने 13 दिन का समय बीत जाने के बाद भी नई पोस्ट पर ज्वाईन नहीं किया है। इससे पता लगता है कि वह सरकारी आदेशों की कोई परवाह नहीं करता है।


पवन कुमार ने कहा कि अगर उनकी मांगों को नहीं माना जाता है और विजिलैंस विभाग उनके साथी कर्मचारियों को नाजायज़ तंग परेशान करता है तो उस सूरत में यूनियन संघर्ष करने के लिए मजबूर होगी।