WARD NO. 78 से भाजपा के उम्मीदवार पुनीत चड्डा ने डुबाई "भंडारी की नैय्या", इलाके से पार्टी का सूपड़ा चुनाव से पहले ही हुआ साफ !

मुकाबला केवल कांग्रेस व आप के बीच, बीजेपी उम्मीदवार हुए रेस से बाहर
इस बार के नगर निगम चुनाव अपने आप में ही बेहद खास एवं अलग किस्म के हैं। इस बात जो समीकरण बन रहे हैं, वैसे पहले कभी भी देखने काे नहीं मिले। एक तरफ सभी उम्मीदवारों के पास समय की काफी कमी है और उनके लिए सबसे बड़ी परेशानी बनी हुई है अपने इलाके में दौरा करना, डोर-टू-डोर करके अधिक से अधिक वोटरों के साथ निजी तौर पर मुलाकात करके अपने हक में वोट डालने के लिए निवेदन करना।
इस बात कुछ वार्डों का नज़ारा ऐसा देखने को मिल रहा है कि राष्ट्रीय स्तर की राजनीतिक पार्टियों के उम्मीदवार चुनाव से पहले ही अपने विरोधी उम्मीदवारों के सामने घुटने टेकते हुए दिखाई दे रहे हैं। पिछले दो बार हुए चुनावों के अंदर हाईकमान से आए चुनावी फंड की धांधली सामने आने के बाद इस बात हालात बद से बदतर बनते हुए दिखाई दे रहे हैं। पार्टी की तरफ से उम्मीदवारों काे फंड के नाम पर केवल लालीपाप थमाया गया है, जिसके बाद हालात यह बन गए हैं, कि कुछ वार्डों में तो उम्मीदवारों ने न तो कोई खास पोस्टर या फ्लैक्स बोर्ड ही लगाए हैं, बल्कि पार्टी के झंडे भी लगभग नदारद पाए जा रहे हैं। जिससे भाजपा की करारी हार निश्चित मानी जा रही है।
ऐसा ही एक मामला जालंधर नार्थ के वार्ड नं 78 से देखने को मिल रहा है, जहां मौजूदा भाजपा उम्मीदवार जिन्हें सीनियर भाजपा नेता के डी भंडारी ने बड़े विश्वास के साथ टिकट दिलवाई थी, अब वह ही उनकी राजनीतिक नैय्या डुबाते हुए दिखाई दे रहे हैं। इलाके में पिछले 2-3 दिन की ग्राऊंड रिपोर्ट की मानें तो कांग्रेसी प्रत्याशी बंटी अरोड़ा एवं आप उम्मीदवार दीपक शारदा के बीच ही चुनावी लड़ाई शेष बची प्रतीत हो रही है। और भाजपा उम्मीदवार पुनीत चड्डा चुनाव से पहले ही रेस से बाहर हुए दिखाई दे रहे हैं। वार्ड में चारों तरफ केवल विरोधी पार्टियों के ही झंडे, पोस्टर, बैनर आदि देखने को मिल रहे हैं, जबकि भाजपा के चुनावी प्रचार सामग्री की काफी कमी देखने को मिल रही है। इतना ही नहीं भाजपा उम्मीदवार का इस इलाके में कोई खास जनाधार भी नहीं है, उनके बारे में लोग अधिक जानते भी नहीं हैं, जिस वजह से उनके डोर-टू-डोर प्रचार को भी खासा धक्का लगता हुआ दिखाई दे रहा है।
सबसे हैरानी वाली बात है कि भाजपा की सीनियर लीडरशिप आज तक इस वार्ड में कहीं भी दिखाई ही नहीं दी है, और ऐसा लगता है कि उन्हें अपनी हकीकत का ऐहसास हो गया है, इसीलिए वह भी वार्ड से दूरी बनाकर रखे हुए हैं। अगर समय रहते सीनियर लीडर इस तरफ सुध नहीं लेते हैं ताे उन्हें चुनाव में काफी बड़ी नुक्सान झेलना पड़ सकता है।

Latest News
HNI
Exclusive
- Latest Exclusives
- Daily news update
- intact news

_11212022062429.webp)