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स्पैशल एक्सपोर्ट अवार्ड मिलते ही चर्चा में आए उद्योगपति निपुण जैन, सरकारी खजाने को मोटा रगड़ा लगाने का है गंभीर आरोप!, हाईकोर्ट के फैसले पर टिकी निगाहें, पढ़िए मामला !

PUBLISH DATE: 28-09-2024

जालंधर


सरकारी खजाने को चूना लगाने वाले डिफाल्टर जब नवाजे जाने लगे तो समाज में चर्चा होना आम है। शहर में एक ऐसी ही चर्चा ने इन दिनों खासा जोर पकड़ रखा है जिसका विषय शहर के एक बड़े इंडस्टरिलिस्ट कोहेनूर इंडिया प्रा. लि. के चेयरमैन निपुण जैन है। श्री जैन जिनको हाल ही में मुंबई में आयोजित एक समारोह में स्पैशल एक्सपोर्ट अवार्ड से नवाजा गया, उनका नाम राज्य सरकार की डिफाल्टर सूची आरोपियाें में शुमार है।


अत: चर्चा के आधार पर जब मामले को खंगाला गया तो न केवल सरकारी खजाने को चूना लगाने का आरोप सत्य पाया गया, वहीं साथ में यह भी ज्ञात हुआ कि मामला माननीय पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में लंबित है जहां एक बार केस हारने के बाद सरकारी खजाने के डिफाल्ट आरोपी उद्योगपति निपुण जैन का भविष्य अब माननीय हाईकोर्ट में ही एक लीव एप्लीकेशन के आधार पर रिमांड हुए केस के दोबारा होने वाले फैसले पर आ टिका है।


बहरहाल, माननीय उच्च कोर्ट का फैसला सर्वमान्य होगा लेकिन यदि माननीय हाईकोर्ट की ओर से पहले डिसमिस केस के फैसले पर गौर किया जाए तो यह पूरा मामला अपने आप मे बेहद खास है। वो इसलिए कि माननीय हाईकोर्ट ने डिफाल्ट आरोपी उद्योगपति निपुण जैन की याचिका एक सब डिवीजन मैजिस्ट्रेट की क्रास जांच रिपोर्ट के आधार पर खारिज की जिसमें पाया गया कि उनके उद्योग यूनिट वाली जमीन को कृषि भूमि बताकर रजिस्ट्री करवाई गई जबकि उस समय वहां फैक्टरी विभाग के रिकार्ड अनुसार उत्पादन हो रहा था।



रिकार्ड के अनुसार साल 2013 से ही उद्योगपति निपुण जैन सरकारी खजाने को चूना लगाने का आरोप झेल रहे हैं। रजिस्ट्री के बाद मामला जिला प्रशासन के ध्यान में आने पर इनको स्टांप ड्यूटी में चोरी करने पर करीब 58 लाख रुपए पैनेल्टी लगाई गई थी। इसके बाद जैन को डिवीजनल कमिश्नर की कोर्ट से भी राहत नहीं मिली और हारते-हारते जैन बीते साल हाईकोर्ट से भी केस हार गए।


   
उधर, राज्य सरकार के खजाने को उम्मीद जगी थी कि माननीय हाईकोर्ट के फैसले के बाद स्टांप ड्यूटी चोरी के विलफुल डिफाल्टर आरोपी निपुण जैन से चोरीशुदा रकम समेत ब्याज जो करीब एक करोड़ बन जाएगी, सरकारी खजाने में जमा करवाई जाएगी लेकिन रिकवरी को लेकर कोई अफसर हरकत में नहीं आया और निपुण जैन को हाईकोर्ट के डबल बैंच से लीव एप्लीकेशन के आधार पर राहत मिल गई और वो केस रिमांड करवाने में सफल रहे।


सूत्रों से पता चला है कि राज्य सरकार के सैक्रेटरी स्तरीय अधिकारियों ने भी इस लापरवाही का संज्ञान लिया है। पता चला है कि इस पूरे मामले में लापरवाही एवं अपनी ड्यूटी का सही ढंग से निर्वाह न करने वाले कुछ ज़िला प्रशासन के अधिकारियों पर भी गाज गिर सकती है। जिन्होंने निपुण जैन के साथ ही संबिधत 2 अन्य मामलों में आज तक कोई कारवाई नहीं की और उनके केस की लीव पटीशन के दौरान कमजोर पैरवी की जबकि सारा मामला सिंगल बैंच के सामने शीशे की तरह साफ हो गया था।


क्या है मामला, कैसे लगा सरकारी रैवेन्यु को चूना, क्या है हाईकोर्ट का आदेश ?



रिकार्ड मुताबिक  20-02-2013 को सब-रजिस्ट्रार जालंधर-2 के पास एक दस्तावेज़ निपुण जैन के नाम पर रजिस्टर हुआ था जिसमें लगभग 4 कनाल की ज़मीन को एग्रीकल्चरल बताकर स्टांप ड्यूटी लगाई गई थी। माननीय हाईकोर्ट ने 20-10-2023 को अपने फैसले में साफ किया था, कि उक्त जमीन एग्रीकल्चरल नहीं थी। क्योंकि डिप्टी डायरैक्टर फैक्टरीज़ द्वारा जारी एक पत्र का हवाला देते हुए कहा गया था, कि उक्त प्लाट के आस-पास फैक्टरीज़ व अन्य व्यापारिक संस्थान हैं जो कि फैक्टरीज़ एक्ट, 1948 के अंतर्गत रजिस्टर्ड हैं। पत्र में दर्शाए गए 10 में से 7 2013 से पहले रजिस्टर करवाए गए थे। कोहेनूर पौलीमरज़ 2006 में रजिस्टर हुई थी। केवल आईस फैक्टरी 2004 मे रजिस्टर हुई थी। कोहेनूर इंडिया प्रा. लिं. 1973 में रजिस्टर हुई थी। इसलिए चाहे वहां कोई फैक्टरी आदि का निमार्ण हुआ था या नहीं, मगर उक्त प्रापर्टी कमर्शियल है जिसके आस-पास कई अन्य फैक्टरियां कई सालों से वहीं मौजूद हैं।


बड़ा सवाल : जैन की दो अन्य रजिस्ट्रीयों को लेकर क्यों खामोश हो गया प्रशासन?


सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार माननीय हाईकोर्ट में कमर्शियल जगह को एग्रीकल्चरल बताकर सरकारी राजस्व की चोरी करने का जो मामंला चल रहा है। उसमें एक अन्य बात सामने आती है, कि इसी परिवार द्वारा साल 2012 में भी 4 कनाल और 8 कनाल की 2 रजिस्ट्रियां करवाई गई थी, जिसमें ज़मीन को एग्रीकल्चरल (चाही) बताया गया था, जबकि असलीयत में उक्त ज़मीन कर्मशियल थी और उसमें भी लाखों रूपए के स्टांप ड्यूटी की चोरी की गई है। इसलिए उक्त दोनों रजिस्टिरियों की भी गहन पड़ताल करके सरकार के खज़ाने में बनती राशी जमा करवाई जानी चाहिए। और इस मामले में लापरवाही बरतने वाले तत्कालीन जिला प्रशासन के अधिकारियों पर भी बनती कानूनी कारवाई की जानी चाहिए।



मामला टैक्नीकल है, इसलिए मेरे वकील से बात करें : निपुण जैन



इस संबधी जब निपुण जैन से बात की गई तो उन्होंने कहा कि मामला टैक्नीकल है, इसलिए आप मेरे वकील से बात करें। वह ही इस मामले में आपको सही जानकारी दे सकते हैं। मैं इस बारे में कुछ भी नहीं बता सकता। 



हमारा केस डिसमिस नहीं हुआ, रिकंसडरेशन के लिए रिमांड हुआ है, और फैसला भी यही आएगा, कि कोई पैसे जमा नहीं करवाने हैं : एडवोकेट के.के. सैनी



एडवोकेट के के सैनी से जब बात की गई तो उन्होंने कहा कि हमें रिकवरी का नोटिस जारी हुआ था। जिसको लेकर माननीय हाईकोटी की डबल बैंच ने केस डिसमिस नहीं किया है, उन्होंने सिंगल बैंच के पास रिकंसडरेशन के लिए रिमांड किया है। उन्होंने कहा कि फिल्हाल मामला विचाराधीन है और जो भी फैसला आएगा वह मान्य होगा। एडवोकेट केके सैनी ने कहा कि मगर सिंगल बैंच का भी यही फैसला आएगा कि हमने कोई पैसे जमा नहीं करवाने हैं।