डीसी दफ्तर जालंधर की विवादित महिला कलर्क की अग्रिम ज़मानत अर्ज़ी अदालत ने की रद्द !
इसके खिलाफ 2 एफआईआर हैं दर्ज, अदालत ने कहा यह किसी रियायत की नहीं पात्र
डीसी दफ्तर जालंधर में काम करने वाले कई कर्मचारियाें के ऊपर करप्शन के आराेप लगते रहे हैं। कई बार विजीलैंस विभाग ने यहां दबिश देकर कुछ काे रंगे हाथाें गिरफ्तार भी किया है। मगर इस समय एक महिला कलर्क पूरे ज़िले में चर्चा का विषय बनी हुई है। इस महिला कलर्क का विवादाें के साथ चाेली-दामन का साथ बना हुआ है। हाल ही में जालंधर कमिशनरेट पुलिस के थाना नं 1 मे इसके खिलाफ IPC 1860 की धारा 420 एवं THE PREVENTION OF CORRUPTION ACT, 1988 की धारा 7 एवं 13 के अंर्तगर्त एक F.I.R. दर्ज की गई थी। उक्त महिला कलर्क द्वारा माननीय अदालत में लगाई गई अग्रिम ज़मानत की अर्ज़ी काे खारिज कर दिया गया है। जिसके बाद अब इस कर्लक की मुश्किलें कम हाेने की जगह और बढ़ती दिखाई दे रही हैं।
यहां यह बताने लायक है कि महिला कलर्क मीनू के खिलाफ यह पहली एफआईआर नहीं है, बल्कि साल 2023 में भी इसके खिलाफ थाना बस्ती बावा खेल में करप्शन एक्ट के तहत ही एक एफआईआर दर्ज की गई थी। और इस मामले में यह जेल की हवा भी खा चुकी है।
क्या है अदालत का फैसला, क्याें की अग्रिम ज़मानत याचिका रदद ?
एडीशनल सैशन जज, स्पैशल काेर्ट धरमिंदर पाल सिंगला की अदालत में महिला कलर्क द्वारा भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 के तहत अग्रिम ज़मानत याचिका दायर की गई थी। जिसमें याचिकाकर्ता के वकील द्वारा कहा गया था, कि महिला कलर्क काे झूठा फंसाया गया है। उक्त मामला 2021 का था और इसकी शिकायत 2 साल से भी अधिक समय के बाद की गई है। इसलिए कस्टडी की काेई ज़रूरत नहीं बनती है। इसके साथ ही यह भी कहा गया कि एफआईआर दर्ज करवाने वाले शिकायतकर्ता का महिला कलर्क के साथ सीधे तौर पर काेई लेना-देना नहीं था। इसलिए ज़मानत दी जानी चाहिए।
अपने फैसले में माननीय अदालत की तरफ से कहा गया है, कि सरकारी वकील ने ज़मानत का विराेध करते हुए कहा कि शिकायतकर्ता की माता के खाते से सीधे महिला कलर्क के खाते में 60 हज़ार और 50 हज़ार जमा हुए हैं, इसके साथ ही 15 हज़ार उसे नगद दिया गया था। इसके खिलाफ विजीलैंस द्वारा पहले भी ऐसे ही एक मामले में एफआईआर दर्ज की जा चुकी है। इसलिए इसे ज़मानत न दी जाए।
अपने फैसले में माननीय अदालत ने कहा कि सभी तथ्याें काे ध्यान में रखते हुए अपराध और आराेपाें की गंभीरता काे देखते हुए अभियुक्त काे गिरफ्तारी पूर्व ज़मानत पर रिहा करने के लिए काेई असाधारण परिस्थित नहीं बनती। इस प्रकार, अभियुक्त किसी भी रियायत का पात्र नहीं है। इसलिए वर्तमान अग्रिम ज़मानत आवेदन खारिज किया जाता है।
क्या है मामला, कैसे और किसने लगाए थे आराेप, क्याें दर्ज हुई थी एफआईआर ?
यहां बताने लायक है कि डीसी दफ्तर के अंदर नौकरी दिलवाने की आड़ में 1 लाख 10 हज़ार रूपए की ठगी करने के गंभीर दाेष लगे थे। शिकायतकर्ता रमन बैंस वासी गांव कंगणीवाल ने पुलिस को दी शिकायत में बताया था, कि 2021 में उसके दोस्त साजन ने उसे अपनी रिश्तेदार मीनू से मिलवाया था, जो जालंधर डीसी दफ्तर में बतौर क्लर्क तैनात है।
मीनू ने रमन से कहा था, कि उसकी दफ्तर में अच्छी पैंठ है। वह 1 लाख रूपये में उसे दफ्तर में Peon की नौकरी दिलवा देगी। जब उसने मीनू को बताया कि वह पांचवीं पास है, तो वह बोली कि उसका जीजा शिक्षा बोर्ड में काम करता है। वह उसका 12वीं का सर्टिफिकेट भी बनवा देगी।
शिकायतकर्ता रमन बैंस ने मीनू द्वारा दिए गए खाते मे 50,000 रूपये जमा करवा दिए। बाकि की रकम उसने दाे बार 30-30 हज़ार करे अपनी मां के गहने पर लोन लेकर जमा करवाई। मीनू कई महीनों तक कोई न कोई बहाना बना कर उसे बेवकूफ बनाती रही। इस दौरान रमन को पता चला कि मीनू ने कईयों से नौकरी दिलवाने की आड़ मे पैसे ऐंठे हुए है। रमन ने जब अपने पैसे वापिस मांगे तो मीनू आनाकानी करने लगी। जिसके बाद उसने पुलिस में शिकायत दर्ज करवा दी। पुलिस ने मामले की शुरूआती पड़ताल करके शिकायतकर्ता रमन बैंस के बयानाें के आधार पर मीनू वासी कबीर नगर के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है।
हालांकि कलर्क मीनू के करीबियाें का कहना है कि इस बार दर्ज की गई एफआईआर गलत है, क्याेंकि पिछले साल जाे एफआईआर दर्ज की गई थी, उसमें भी इस शिकायत का ज़िक्र था और एकही शिकायत काे लेकर दाे बार पर्चा दर्ज नहीं किया जा सकता। इसलिए वह पुलिस के पास एक बार दाेबारा से इसकी री-इन्वैस्टीगेशन के लिए एप्लीकेशन दायर करने जा रही है।
गल्त काम करने की है इसे पुरानी आदत, किसी कानून का नहीं है काेई डर
डीसी दफ्तर जालंधर की महिला कलर्क मीनू काे गलत काम करने की काफी पुरानी आदत है। इसके खिलाफ एक नहीं बल्कि कई शिकायतें आती रही हैं। जिसमें करप्शन के मामलाें के साथ-साथ एक शाेरूम से कपड़े लेकर पैसे न देने, हाेटल में रहकर वहां का बिल अदा न करने, बैंक से लाेन लेकर पैसे वापिस न करने के मामले भी शामिल हैं।
बार-बार करप्शन एवं गल्त काम करने से एक बात साफ हाे जाती है, कि इसे किसी कानून का काेई डर नहीं है। जिस वजह से यह लगातार कानून के खिलाफ जाकर काम करती जा रही है।
विवादों से घिरे होने के बाद भी पब्लिक डीलिंग वाली सीट पर तैनाती काे लेकर भी उठ रहे सवाल
डीसी दफ्तर जालंधर की महिला कलर्क मीनू जिसकी मौजूदा पाेस्टिंग बतौर रीडर तहसीलदार शाहकाेट थी, उसकी तैनाती को लेकर भी अब सवाल उठने शुरू हाे गए हैं। क्याेंकि पिछले लंबे समय से विवादाें के साथ घिरी रहने वाली और करप्शन के आराेपाें पर एफआईआर दर्ज हाेने के बाद अगर उसकी तैनाती पब्लिक डीलिंग वाली पाेस्ट पर हाेती है, ताे भ्रष्टाचार की आशंका बरकरार रहती है।
एफसीआर के जाली हस्ताक्षर करके नियुक्ति पत्र जारी करने एवं तहसीलदार की रिकवरी के पैसे सरकारी खज़ाने में जमा न करवाने के आराेप भी इस महिला कलर्क के ऊपर लग चुके हैं। ऐसे में अगर इसे तहसीलदार के रीडर के पद पर तैनात किया गया है, ताे वहां भी यह सरकारी दस्तावेज़ाें के साथ छेड़छाड़ करे, ऐसी आशंका भी बनी रहती है।
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