संसद के शीतकालीन सत्र में हंगामा और प्रदर्शन के बीच हुआ 84 करोड़ का नुकसान, एक बिल किया गया पास
भारत की संसद का शीतकालीन सत्र, जो 20 दिन तक चला, एक निराशाजनक अनुभव साबित हुआ। इस दौरान लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों में लगातार हंगामा और विरोध प्रदर्शन होते रहे, जिसके कारण केवल एक ही विधेयक पारित हो पाया। इस सत्र के दौरान संसद का कामकाज काफी हद तक स्थगित रहा, जिससे लगभग 84 करोड़ रुपये का वित्तीय नुकसान हुआ।
सत्र का समापन 20 दिसंबर, 2024 को हुआ, जब दोनों सदनों की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई। अंतिम दिन लोकसभा में विपक्षी दलों ने गृह मंत्री अमित शाह के एक बयान के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। इसके जवाब में सदन में वंदे मातरम का गान हुआ, फिर लोकसभा को तुरंत स्थगित कर दिया गया। राज्यसभा में भी हंगामे के कारण कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी।
इस सत्र में महंगाई, बेरोजगारी, किसानों की समस्याओं और देश की सुरक्षा पर कोई सार्थक चर्चा नहीं हो सकी। इसके बजाय, सदनों का अधिकांश समय व्यक्तिगत हमलों और आरोप-प्रत्यारोप में बर्बाद हुआ, जिससे संसद की कार्यप्रणाली में एक बड़ी असफलता आ गई। केवल एक विधेयक के पास होने की स्थिति, पिछले कुछ दशकों में सबसे कम है, जो संसद के संचालन की सुस्ती को दर्शाता है।
इस सत्र में संसदीय कार्यवाही पर प्रति मिनट करीब 2.50 लाख रुपये खर्च हुए। लोकसभा में 61 घंटे 55 मिनट और राज्यसभा में 43 घंटे 39 मिनट कार्यवाही हुई, लेकिन इनमें से अधिकांश समय प्रतिरोध और हंगामे में बर्बाद हुआ। संसद के स्पीकर और उपसभापति की जिम्मेदारी थी कि वे कार्यवाही का संचालन करें, लेकिन सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच लगातार टकराव ने सत्र को अव्यवस्थित और अवरुद्ध कर दिया।
Latest News
HNI
Exclusive
- Latest Exclusives
- Daily news update
- intact news