अब आरटीओ दफ्तर के एक कलर्क की सैलरी माननीय अदालत ने की अटैच !
डीलिंग हैंड के पास आए सम्मन, नहीं दिया काेई ध्यान !
पुरानी सीट पर काम करने वाले कलर्क काे भुगतना पड़ा खामियाजा !
अभी जालंधर के डीसी की सरकारी इनोवा गाड़ी, पंखे, एसी व फर्नीचर आदि काे जालंधर की एक अदालत द्वारा एक केस में अटैच किए जाने का मामला पूरी तरह से शांत नहीं हुआ था, कि एक और बेहद दिलचस्प मामला जालंधर के आरटीओ दफ्तर से सामने आ रहा है। जहां एक कलर्क की सैलरी माननीय अदालत द्वारा अटैच किए जाने का आदेश जारी किया गया है। जिसके बाद उक्त कलर्क की हैरानी का काेई ठिकाना ही नहीं रहा।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार जालंधर के आरटीओ दफ्तर में मौजूदा समय के अंदर आटोमेटिड ड्राईविंग टैस्ट ट्रैक पर तैनात एक कलर्क के पैरों तले ज़मीन ही खिसक गई, जब उसे किसी जानकार ने इस बात की सूचना दी, कि तुम्हारी सैलरी काे एक अदालत में किसी केस के सिलसिले में आरटीओ दफ्तर से जारी कुछ दस्तावेज़ों की गवाही न हाेने की वजह से अटैच कर लिया गया है।
आनफानन में उक्त कलर्क ने अदालत द्वारा जारी सैलरी अटैचमैट के आदेशाें की कापी मंगवाई और निजी तौर पर अदालत में पेश हाेकर गुहार लगाई कि वह अब उक्त सीट पर काम नहीं करती। उसकी तैनाती अन्य सीट पर हाे चुकी है और उसके पास संबंधित रिकार्ड भी नहीं है। मगर वह अगली तारीख पर हर हाल में रिकार्ड लेकर पेश हाे जाएगी।
जिसके बाद तरस के आधार पर माननीय अदालत की तरफ से उसकी सैलरी अटैचमैंट के आदेश काे रद्द करके नया आदेश जारी किया गया कि उक्त कलर्क अगली तारीख काे रिकार्ड लेकर आएंगे वर्ना उन्हें 1 हज़ार रूपए का जुर्माना अदा करने पड़ेगा।
इस मामले में डीलिंग हैंड के पास सम्मन आते रहे, पर उनकी तरफ से पहले तैनात कलर्क जिसकी अब बदली ट्रैक पर हाे चुकी है, उसे काेई जानकारी ही नहीं दी गई। जिससे उसका बड़ा नुक्सान हाे सकता था। मगर समय पर बाहर से सूचना मिलने की वजह से उसका नुक्सान हाेने से बच गया।
कलर्कों के अदालत में जाने से काम की हाेती है पैंडेन्सी, जनता हाेती है परेशान
यहां बताने लायक है, कि आरटीओ दफ्तर में अदालती केसाें काे लेकर कलर्काें काे रिकार्ड लेकर अक्सर जाना पड़ता है। जिस सीट पर कलर्क की तैनाती हाेती है, वहां के रिकार्ड काे अदालत में पेश करने एवं सत्यापित करने के लिए उनके निजी नाम पर भी सम्मन जारी हाेते रहते हैं।
बाद में जब कलर्क की दूसरी जगह तैनाती हाे जाती है, ताे भी पुराने कलर्क के नाम पर ही अदालत से सम्मन आते रहते हैं। हालांकि न ताे उक्त कलर्क के पास वह रिकार्ड हाेता है और न ही उसकी काेई ज़िम्मेदारी बनती है। मगर अदालती कामकाज की गंभीरता के चलते कलर्क मजबूरीवश भी वहां पेश हाेते हैं।
हर राेज़ आरटीओ दफ्तर में दर्जनाें की गिनती में अलग-अलग अदालताें से सम्मन आते हैं, जिस वजह से उन्हें वहां रिकारर्ड लेकर जाना हाेता है। इस वजह से जहां एक तरफ काम की पैंडेन्सी हाेती है वहीं दूसरी तरफ आम जनता काे भी परेशानियाें का सामना करना पड़ता है।
कुछ समय पहले आरटीओ ने वीसी द्वारा रिकार्ड पेश करने के लिए उठाया था कदम, मगर पूरी तरह से नहीं हाे सका लागू
आम जनता की परेशानियाें काे देखते हुए मौजूदा आरटीओ अमनप्रीत सिंह की तरफ से एक बेहद ही प्रशंसनीय कदम उठाया गया था। जिसमें एक कलर्क की विशेष ड्यूटी लगाकर सभी अदालताें में वीसी (वीडियाे कान्फ्रैंस) के माध्यम से रिकार्ड पेश करने के लिए ज़िला एवं सैशन जज से विशेष निवेदन किया गया था। जिसे स्वीकार भी कर लिया गया था। मगर किसी कारणवश फिल्हाल यह प्रावधान पूरी तरह से लागू नहीं हाे पाया है। मगर इस बात की पूरी उम्मीद है कि जल्दी ही आरटीओ इस तरफ ध्यान देकर इसे सही ढंग से लागू करवाने के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे। जिससे समय की बचत ताे हाेगी ही, मगर साथ ही साथ आम जनता के काम भी सुचारू ढंग से निपटाए जा सकेंगे।
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