सरकारी अधिकारियाें व कर्मचारियाें के लिए तबादले की पालिसी, मगर आरटीओ दफ्तर में निजी कंपनी के कर्मचारी पर पूरी मेहरबानी !
ड्राईविंग टैस्ट ट्रैक पर 2 साल से अधिक एक ही सीट पर तैनाती काे लेकर उठ रहे कई सवाल ?
राेटेशन की पालिसी का नहीं हाे रहा पालन, माेटी काली कमाई की आशंका, अधिकारी नहीं दे रहे ध्यान !
अधेर नगरी चौपट राजा वाली पुरानी कहावत ताे हर किसी ने सुनी ही हाेगी। कुछ ऐसे ही हालात मौजूदा समय के अंदर जालंधर के आरटीओ दफ्तर के अधीन आने वाले ड्राईविंग टैस्ट ट्रैक पर बने हुए हैं। यहां एक निजी कंपनी के कर्मचारी पर इतनी अधिक मेहरबानी हाे रही है, कि इसका सीधा खामियाजा आम जनता काे भुगतना पड़ रहा है। इसी वजह से ट्रैक पर करप्शन भी पहले से कई गुणा बढ़ चुकी है, और कई बार इस कर्मचारी काे लेकर सवालिया निशान लगते रहे हैं। मगर न जाने क्या कारण है कि काेई भी अधिकारी इस तरफ ध्यान देना मुनासिब ही नहीं समझ रहा है।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार ड्राईविंग टैस्ट ट्रैक पर जाे भी वाहनों के टैस्ट लिए जाते हैं, उस सीट पर इस ऊंची पहुंच व तगड़ी सैटिंग वाले निजी कंपनी के कर्मचारी का पिछले 2 साल से भी अधिक समय से एकछत्र राज बना हुआ है। न जाने इसके पास कौन सा अलादीन का चिराग है, कि इतनी देर एक ही सीट पर उसकी तैनाती रखी गई है, जबकि कई बार इसकी शिकायतें भी आती रही हैं। मगर किसी के कानाें पर जूं तक नहीं सरक रही है।
बिना ड्राईविंग जाने टैस्ट पास करने, बिना आवेदक के किसी अन्य काे गाड़ी चलाने की इजाजत देने, आवेदकाें का टैस्ट पास हाेने के बाद भी उसे फेल करार देना जैसे कई इल्ज़ाम इस कर्मचारी के ऊपर लग चुके हैं। मगर संबंधित अधिकारी के साथ नज़दीकियाें के चलते आज तक काेई भी इसका बाल भी बांका नहीं कर सका है।
यहां बताने लायक है कि पब्लिक डीलिंग वाली सीट एवं पैसाें के लेन-देन के आराेपों के चलते ट्रैक चालू हाेने की शुरूआत से लेकर लंबे समय तक हर निजी कंपनी के कर्मचारी की कम से कम 45 दिन और अधिक से अधिक 3 महीने बाद सीट बदली जाती थी। जिसे राेटेशन कहा जाता था। इसे एक ही कर्मचारी का किसी भी सीट पर बैठकर ऐजैंटाें के साथ सैटिंग करने एवं करप्शन की आशंका काे काम करने के लिए काफी कारगर माना जाता था। मगर पिछले कुछ समय से इस राेटेशन वाली प्रक्रिया काे सिरे से नकारते हुए एक ही कर्मचारी काे मलाईदार सीट पर तैनात करना अपने आप में संदेह ज़रूर पैदा करता है।
इस संबधी जानकारी लेने के लिए जब एआरटीओ काे फाेन किया गया, ताे उन्हाेंने फाेन नहीं उठाया जिससे उनका पक्ष प्राप्त नहीं हाे सका। जैसे ही उनसे बात हाेगी और उनका पक्ष प्राप्त हाेगा, उसे भी प्रमुखता से प्रकाशित किया जाएगा।
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