फर्जीवाड़ा करने वालों को नहीं रहा किसी कानून का कोई डर, जाली आधार कार्ड के आधार पर रजिस्ट्री करवाने की कोशिश हुई नाकाम !
अधिकारियों के सामने खुल गई पोल, माफी मांगकर छुड़वाई जान !
जालंधर की तहसील (JALANDHAR TEHSEEL) जो अपने अजब-गजब कारनामों को लेकर पूरे प्रदेश (STATE) में सबसे पहले नंबर पर आती है। यहां आए दिन किसी न किसी जालसाजी (FRAUD) की खबरें आती रहती हैं। यहां के अधिकारी (OFFICERS) व कर्मचारियों (EMPLOYEES) के साथ-साथ आम जनता (COMMON PEOPLE) के लिए अब यह एक आम बात बन चुकी है। करप्शन की जड़े इस कदम मज़बूत हो चुकी हैं, कि अब गलत काम करने वाले लोग जो अपने निजी स्वार्थों की पूर्ती के लिए किसी भी तरह का फर्जीवाड़ करने से गुरेज नहीं करते हैं, उन्हें किसी कानून का कोई डर शेष नहीं बचा है। जिसके चलते वह लगातार जालसाजियों को अंजाम देने में लगे हुए हैं।
ऐसा ही एक और मामला मंगलवार को सामने आया, मगर अधिकारियों व कर्मचारियों की चौकसी की वजह से एक नया फर्जीवाड़ा होने से बचाव हो गया। तहसील सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जालंधर के एक इलाके की 24 मरले की रजिस्ट्री करवाने के लिए दस्तावेज़ अधिकारी के पास पेश किए गए। मगर जो महिला उक्त ज़मीन बेच रही थी, उसके आधार कार्ड के देखने पर कुछ शक हुआ। शक के चलते खरीदार से कहा गया, कि उक्त महिला का ओरीजनल आधार कार्ड पेश किया जाए। जब महिला का आधार कार्ड आया तो, उसमें कुछ खामियां देखने को मिली। सबसे बड़ी खामी थी आधार कार्ड पर लिखी महिला की आयु का असल में मौजूद महिला के साथ मेल न खाना।
जब अधिकारियों ने खरीदार को सख्ती के साथ पूछा और पुलिस को बुलाने की बात कही, तो खरीदार ने कहा कि उनसे गलती हो गई और वह वापिस जाने लगे। सूत्रों की मानें तो महिला जिसके आधार कार्ड को लेकर संदेह पैदा हुआ था, वह इतना घबरा गई थी, कि तेज़ी से बाहर भागने लगी। जिससे अधिकारियों का शक यकीन में बदल गया। अधिकारियों ने रजिस्ट्री के सभी ओरीजनल दस्तावेज़ अपने कब्ज़े में ले लिए और खरीदार व महिला को खूब डांटा।
वैसे मंगलवार को होने वाली संभावित जालसाजी का तो समय रहते पता लग गया, मगर जिस प्रकार से तहसील के अंदर कुछ लालची किस्म के लोग पैसों के लालच में हर तरह के जाली दस्तावेज़ तैयार करने के अंदर महारत हासिल कर चुके हैं। उसे देखकर यह कहना गलत नहीं होगा कि अधिकारियों को ओरीजनल दस्तावेज़ जैसे कि आधार कार्ड इत्यादि देखे बिना दस्तावेज़ स्वीकार ही नहीं करने चाहिएं। ताकि जालसाजी की संभावना को कम किया जा सके।
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