सरकारी रिकॉर्ड से छेड़छाड़ मामले में शिकायतकर्ता ने सब रजिस्टार को खड़े किया शक के घेरे में !
कहा पहले खुद माना की संबंधित पक्षों ने बदला रिकॉर्ड, फिर अचानक केवल 10 दिनों में कैसे लाभ लेने वाले के बयानों पर शिकायत कर दी बंद ?
पन्ना बदले जाने की बात साबित होने के बावजूद दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए क्यों नहीं की गई सिफारिश ?
जालंधर के सब रजिस्टार दफ्तर एक में पिछले लंबे समय से चल रही एक शिकायत जिसमें दफ्तर के ही सरकारी रिकॉर्ड के साथ छेड़छाड़ करने का मामला सामने आया और जिसे खुद सब रजिस्टार की तरफ से डीसी के पास भेजी गई रिपोर्ट में माना गया कि उक्त रिकॉर्ड के साथ छेड़छाड़ की गई है, उसे मामले में शिकायतकर्ता महिला द्वारा इस मामले की जांच करने वाले सब रजिस्टार को ही शक के दायरे में खड़ा कर दिया गया है।
केवल 10 दिन में कैसे शिकायत हुई गलत साबित, अपनी पहली 2 रिपेर्ट को खुद ही कर दिया खारिज - कामना
शिकायतकर्ता महिला कामना का कहना है कि सबसे बड़ी बात जो विचार करने लायक है कि सब रजिस्टार स्वयं अपनी दो रिपोर्ट में मान रहे हैं की रजिस्ट्री करवाने के लिए आए दोनों संबंधित पक्षों द्वारा आपसी मिली भगत के द्वारा सरकारी रिकॉर्ड को बदल गया। इतना ही नहीं 3 महीने तक जाली जांच के बाद सब रजिस्ट्रार द्वारा यह भी सिफारिश की गई की सरकारी रिकॉर्ड के साथ छेड़छाड़ करने के लिए दोनों संबंधित पक्षों के खिलाफ बनती कानूनी कार्रवाई करते हुए उनके खिलाफ फिर दर्ज की जानी चाहिए।
फिर अचानक अपनी दूसरी रिपोर्ट भेजने के केवल 10 दिन के बाद ऐसा क्या चमत्कार हो गया कि उन्होंने रजिस्ट्री करवाने वाले लाभार्थी जिसको उक्त पाने के बदलने से फायदा पहुंचा उसी के बयान दर्ज करके मेरी शिकायत को दाखिल दफ्तर करना पड़ा।
पन्ने बदले जाने की बात सच साबित हुई, फिर भी लाभार्थी, पन्ने बदलवाने वाले एवं दफ्तर के कर्मचारी के ऊपर क्यों नहीं मामला किया गया दर्ज
कामना ने एक बहुत बड़ा सवाल खड़ा करते हुए कहा, कि एक बार अगर मान भी लें कि लाभार्थी द्वारा दिया गया बयान सत्य है, तो भी यह बात तो साबित हो चुकी थी कि सरकारी रिकॉर्ड के साथ छेड़छाड़ की गई थी। और उक्त पन्ना बदलने से केवल और केवल जमीन खरीदने वाले को ही लाभ पहुंचता, इसलिए कानून लाभार्थी, रिकॉर्ड बदलने में सहायता करने वाले चाहे गलत ढंग से बताए गए वसीका नवीस या फिर जिस एडवोकेट ने रजिस्ट्री लिखी थी, उसके साथ-साथ सब रजिस्ट्रार दफ्तर के अंदर काम करने वाले एक कर्मचारी जिसकी सहायता के बिना उक्त दफ्तरी रिकॉर्ड को बदलना संभव नहीं था, उनके खिलाफ बनती कानूनी कार्रवाई के लिए सब रजिस्ट्रार को हर हाल में डीसी के पास लिखना जरूरी बनता था।
आखिर ऐसा क्या हो गया कि जो सब रजिस्टार पहले भेजी गई दो रिपोर्ट में कड़ी कानूनी कार्रवाई के लिए लिख रहे थे, अब एक दम से उन्हें साफ सुन गया और वह कानूनी कार्रवाई करने के लिए सिफारिश करने की जगह इस मामले को उजागर करने वाली शिकायतकर्ता की शिकायत को ही दाखिल दफ्तर करते हुए गलत काम करने वालों की सहायता करते हुए प्रतीत होते हैं।
अपने बेहद करीबी साथी एवं पटवारी को बचाने के लिए सब-रजिस्ट्रार ने खेला पूरा खेल - कामना
कामना ने कहा कि ऐसा लगता है कि कहीं ना कहीं अपने दफ्तर के एक खास व्यक्ति जो कि उनका बेहद करीबी था एवं पटवारी जिसकी कहाँ पर ही उक्त सरकारी रिकॉर्ड के साथ सारी छेड़छाड़ की गई एवं खुद दोषी होते हुए अपने ही खिलाफ दी गई शिकायत की जांच करने वाले सब रजिस्टार इस पूरे मामले को रफा दफा करते हुए दिखाई दे रहे हैं।
कामना ने कहा कि यह कोई छोटा मामला नहीं है बल्कि इस पूरे मामले में सरकारी रिकॉर्ड के साथ छेड़छाड़ करते हुए यह दर्शाया गया है कि किसी भी सरकारी रिकॉर्ड के साथ अगर अधिकारी या उनके कर्मचारी चाहे तो आप कोई भी छेड़छाड़ कर सकते हैं और धोखाधड़ी को अंजाम दे सकते हैं।
डीसी व एसडीएम ने आरोपी सब-रजिस्ट्रार को ही सौंप दी जांच, न्याय प्रक्रिया के साथ किया बड़ा मज़ाक
शिकायतकर्ता कामना ने कहा कि ऐसे में जालंधर के डीसी एवं उनके द्वारा पड़ताल करने के लिए नियुक्त किए गए एसडीएम को यह जरूर सोचना चाहिए था, कि इस पूरे मामले में जो दोषियों का साथ दे रहे हैं एवं कहीं ना कहीं खुद भी दोषी हैं और जिनके ऊपर बेहद गंभीर आरोप लगे हैं, उनको ही जांच सौंप कर पूरी न्याय प्रक्रिया के साथ एक बड़ा मजाक किया जा रहा है। खुद ही अपने खिलाफ जांच करने वाले तत्कालीन सब-रजिस्ट्रार कभी नहीं चाहेंगे कि उनकी पोल खुले और सरकारी रिकार्ड के साथ छेड़छाड़ जैसे इतने गंभीर मामले में उनके ऊपर कोई आंच आ सके।
तत्कालीन सब-रजिस्ट्रार के खिलाफ विजीलैंस के पास भेजी बाय नेम शिकायत
कामना ने कहा कि उनकी शिकायत को सिरे से नकारकर गलत लोगों का साथ देने वाले तत्कालीन सब-रजिस्ट्रार को उनके किए की सज़ा दिलाने एवं न्याय की उम्मीद में जिला प्रशासन द्वारा गलत ढंग से उनकी शिकायत को बंद किए जाने के खिलाफ अब उनके द्वारा विजिलेंस के पास सब रजिस्ट्रार एवं पटवारी के खिलाफ बाय नेम शिकायत दर्ज कराई गई है। इसके साथ ही उसे संबंधित कर्मचारी जिसको बचाने के लिए सब रजिस्टार एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं और जो उनके काले कारनामों का साथी है उसके खिलाफ भी जल्दी ही विजिलेंस के पास बाय नेम शिकायत दर्ज करवाई जाने वाली है।
शिकायतकर्ता कामना ने कहा कि उन्हें न्याय प्रणाली पर पूरा यकीन है और वह मानती है कि इंसाफ मिलने में देरी हो सकती है मगर दोषियों को उनके किए की सजा हर हाल में जरूर मिलेगी।
सरकारी रिकार्ड की छेड़छाड़ काे लेकर क्या कहता है कानून, क्या है प्रावधान ?
सीनियर एडवोकेट राजीव कोहली ने बताया कि अगर काेई भी व्यक्ति सरकारी रिकार्ड के साथ छेड़छाड़ करता है, उसमें काेई बदलाव करता है, अपने फायदे के लिए उसका इस्तेमाल करता है। ताे उस सूरत में ऐसा करने वाला और उसकी सहायता करने वाला दोनाें ही कानून की नज़र में दाेषी हैं। आईपीसी की धारा 420, 467, 468 और 471 के तहत ऐसा करने वालाें काे 10 साल तक की सज़ा हाे सकती है।
उन्हाेंने कहा कि इस मामले में अगर अधिकारियाें के ध्यान में आया था, ताे उस सूरत में दाेषियाें के खिलाफ पुलिस प्रशासन के पास पर्चा दर्ज करने के लिए लिखा जाना अनिवार्य था। अगर अधिकारी ऐसा नहीं करते हैं ताे शिकायतकर्ता सीधा अदालत का दरवाज़ा भी खटखटा सकते हैं।
इस मामले में जब तत्कालीन सब रजिस्ट्रार से उनका पक्ष जाने के लिए फोन किया गया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया जिससे उनका पक्ष प्राप्त नहीं हो सका। जैसे ही उनसे बात होगी और वह अपना पक्ष प्रस्तुत करेंगे उसे भी प्रमुखता से प्रकाशित किया जाएगा।
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