बद से बदतर हुए आरटीओ दफ्तर के हालात, न जाने कब खत्म होगी आम जनता की परेशानी, कब जागेगी सरकार, कब मिलेगी राहत, ड्राईविंग ट्रैक पर खराब हुए कैमरे, नहीं हुआ एक भी टैस्ट
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कहा अगर सरकार के पास नहीं है पैसे, तो हम देने के लिए हैं तैयार, कैमरे करवा लो ठीक
परिवहन विभाग (TRANSPORT DEPARTMENT) के हालात अब राम भरोसे होते दिखाई दे रहे हैं। पिछले लंबे समय से प्रदेश के अंदर ड्राईविंग टैस्ट ट्रैक (DRIVING TEST TRACK) के ऊपर होने वाले लाईसैंस (LIECENCE) से संबिधत कामकाज को लेकर पूरे पंजाब की जनता को परेशानी झेलनी पड़ रही है। वहीं जालंधर के आरटीओ दफ्तर (RTO OFFICE) के हालात तो अब बद से भी बदतर होते हुए दिखाई दे रहे हैं। अधिकारी (OFFICERS) व कर्मचारी (EMPLOYEES) अपनी ज़िम्मेदारी से भागते हुए दिखाई दे रहे हैं। यहां अपने काम के लिए आने वाले लोगों के मन में यही सवाल घूम रहे हैं, कि आखिर कब जागेगी सरकार और कब उन्हें मिलेगी राहत। मगर आम जनता की दिक्कतें कम होने का नाम लेती दिखाई नहीं दे रही हैं।
गुरूवार को ड्राईविंग टैस्ट ट्रैक पर एक भी चौपहिया वाहन (4 WHEELERS) का टैस्ट (TEST) नहीं हो सका। क्योंकि टैस्ट लेने के लिए इस्तेमाल होने वाले कैमरे (CAMERA) खराब हो गए थे। सुबह से लेकर शाम तक दूर-दराज के इलाकों से आए लोग ट्रैक पर इसी उम्मीद के साथ खड़े रहे कि शायद कैमरे ठीक हो जाएं, और उनका टैस्ट हो जाए। मगर शाम तक न तो कैमरे ठीक हुए और न ही किसी अधिकारी ने आम जनता की सुध लेने का रत्ती भर प्रयास ही किया।
सरकार की जगह आम जनता अपनी जेब से पैसे देने के लिए हुई तैयार, इससे बढ़कर क्या होगी त्रास्दि
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार ट्रैक पर जब काफी देर तक कैमरे ठीक होते दिखाई नहीं दिए तो वहां मौजूद भोगपुर (BHOGPUR) से आए एक एनआरआई जरनैल सिंह (NRI JARNAIL SINGH) ने ट्रैक पर तैनात कर्मचारियों को यह आफर (OFFER) तक दे डाली, कि वह किसी कैमरा ठीक करने वाले को बुला लें, उसका सारा खर्चा वह अपनी जेब से दे देंगे। ट्रैक पर मौजूद किसी भी कर्मचारी ने उनकी बात की तरफ ध्यान तक नहीं दिय़ा। मौके पर मौजूद लोगों का कहना था कि पंजाब की जनता के लिए इससे अधिक दुर्भाग्य व त्रास्दि वाली बात और क्या हो सकती है कि आम जनता अपनी जेब से पैसे खर्च करने के लिए तैयार है, मगर फिर भी अधिकारियों व सरकार के कानों पर जूं तक नहीं सरक रही।
बिना किसी सेफ्टी इक्यूवपमैंट के सेवादार ने टावर पर चढ़कर अपनी जान डाली जोखिम में
आम जनता की परेशानी को देखकर अधिकारियों व कर्मचारियों को तो तरस नहीं आया, मगर वहां तैनात एक सेवादार का मन पिघल गया और उसने अपनी जान जोखिम में डालते हुए बिना किसी सेफ्टी इक्यूवपमैंट (SAFETY EQUIPMENT) के 30-40 फुट ऊंचे टावर (TOWER) पर चढ़ गया और कैमरे ठीक करने का प्रयास किया। मगर कामयाब नहीं हो सका।
भगवान का शुक्र है कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ, मगर सरकार द्वारा ट्रैक की शुरूआत के समय दिए गए सेफ्टी इक्यूवपमैंट ज़मीन निगल गई या फिर आसमान खा गया, यह तो अधिकारी ही बेहतर बता सकते हैं। मगर एक सेवादार के जान जोखिम डालने पर भी किसी को कोई फर्क नहीं पड़ा।
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लोगों ने सरकारी कैमरों को खुद ही ठीक करने की उठाया बीड़ा, किसी कर्मचारी ने नहीं जताया ऐतराज
एक और हैरान करने वाली बात गुरूवार को सामने आई, जब वहां मौजूद आम जनता के ही कुछ लोग सरकारी कैमरे ठीक करने के लिए ट्रैक पर जुट गए। अब उन्हें इस बात की परमीशन किसने दी, यह तो पता नहीं और उनके पास कैमरे ठीक करने का क्या तजुर्बा (EXPERIENCE) या एक्सपर्टीज़ (EXPERTISE) थी, मगर सरकारी जगह पर सरकारी साजो-समान के साथ इस प्रकार से छेड़छाड़ करते हुए देखकर भी ट्रैक पर मौजूद किसी कर्मचारी ने ऐतराज तक नहीं जताया।
ऐसा लगता है कि पंजाब की आम आदमी पार्टी सरकार (AAM AADMI GOVERNMENT) के राज में अब वह दिन दूर नहीं जब आम जनता खुद ही सरकारी दफ्तरों में जाकर सरकारी कर्मचारियों का काम करने लगेगें और वहां तैनात कर्मचारी केवल आराम करते हुए दिखाई देंगे।
टैस्ट लेने वाली महिला कर्मचारी भी 1 घंटा देरी से पहुंची सुबह अपनी ड्यूटी पर
बड़ी पुरानी कहावत है कि अंधेर नगरी चौपट राजा। ठीक वैसे हालात ट्रैक पर बनते हुए दिखाई देने लगे हैं। जहां एआरटीओ विशाल गोयल (ARTO VISHAL GOEL) के राज में यहां काम करने वाले कर्मचारी अपनी मनमानी करते हुए दिखाई दे रहे हैं। गुरुवार को सुबह ठीक 9 बजे आवेदक ट्रैक पर पहुंच गए थे, मगर टैस्ट लेने वाली महिला कर्मचारी लगभग 1 घंटा देरी से अपनी ड्यूटी पर पहुंची और उसे पूछने वाले कोई न होने के कारण आगे भी वह ऐसा नहीं करेगी इसकी कोई गारंटी (GUARANTEE) नहीं है।
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हर बार की तरह इस बार भी एआरटीओ विशाल गोयल से जब इस मामले में उनका पक्ष जानने के लिए फोन किया गया, उन्होंने मीडिया (MEDIA) का फोन उठाना मुनासिब नहीं समझा, जिससे उनका पक्ष प्राप्त ही नहीं हो सका।
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