RTO ने करप्शन की राेकथाम से उठाया कदम, बईमान कलर्काें एवं एजैंटाे के लिए साबित हो रहा वरदान !
पहली बार किसी सरकारी दफ्तर काे अंदर से लगे ताले, आम जनता व मीडिया के लिए एंट्री हुई बैन
प्राईवेट करिंदाें व बड़ें एजैंटाें के लिए आसानी से खुलते दरवाज़े, मिलती वीआईपी ट्रीटमैंट
परिवहन विभाग की बात की जाए और यहां व्याप्त करप्शन का ज़िक्र न आए, ऐसा हाे ही नहीं सकता। पूरे प्रदेश में जालंधर के आरटीओ दफ्तर की बात ही निराली है। यहां कुछ प्राईवेट करिंदों व बड़े एजैंटाें की तूती बाेलती है। यहां तक कि आरटीओ द्वारा अपनी तरफ से करप्शन की राेकथाम का कहकर बनाए गए नियम ही अब सबसे बड़े भ्रष्टाचार की जड़ बनकर सामने आ रहा है।
दरअसल कुछ समय पहले जब आम जनता के साथ-साथ एजैंटाें व निजी करिंदाें का आरटीओ दफ्तर में बेरोकटोक आना-जाना लगा रहता था, तब मौजूदा आरटीओ ने इस दफ्तर के इतिहास में पहली बार एक ऐसा नियम बनाया जिससे दफ्तर के अंदर जाना किसी के लिए अब आसान नहीं रहा। उनकी तरफ से ताे यह नियम इसलिए बनाया गया था, कि करप्शन पर अंकुश लगाया जा सके। मगर यही नियम कुछ बेईमान किस्म के कलर्काें, प्राईवेट करिंदाें व बड़े एजैंटाें के लिए वरदान साबित हाे रहा है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार अब आरटीओ दफ्तर में सुबह से लेकर शाम तक अंदर से ताले व कुंडियां लगाकर रखी जाती हैँ। यहां तक कि मीडिया के अंदर प्रवेश पर भी अब बैन लगाया जा चुका है। प्रदेश के सीएम भगवंत सिंह मान जाे हर मंच से सरेआम घोषणा करते हैं, कि काेई भी आम जनता का व्यक्ति किसी भी करप्शन करने वाले सरकारी मुलाज़िम का वीडियाे बनाकर या फाेटाे खींचकर उनके पास भेज सकता है। मगर जालंधर के आरटीओ दफ्तर में अब बंद दरवाज़ाें के पीछे सरेआम सारे कायदे-कानून काे छिक्के पर टांगकर धड़्ल्ले से भ्रष्टाचार का नंगा नाच हाे रहा है।
सूत्राें से प्राप्त जानकारी के अनुसार यहां काम करने वाले कुछ बेईमान किस्म के कलर्क अपने चहेते बड़े एजैंटाें काे उनकी सुविधा अनुसार दफ्तर में प्रवेश करने की सर्विस मुहैय्या करवा रहे हैं। इतना ही नहीं कुछ बड़े एजैंट ताे यहां ऐसे देखे जा सकते हैं, कि एक बार ताे लगता है कि शायद वह काेई एजैंट न हाेकर काेई सरकारी मुलाज़िम ही हैं। वह कंप्यूटर पर खुद ही काम भी करते हैं और कलर्क मज़े से ऐसा हाेने देते हैं।
इसके साथ ही कुछ प्राईवेट करिंदाें काे चुपके से दफ्तर में बुलाकर सारे गलत काम करवाए जाते हैं। कुछ कलर्काें ने प्राईवेट करिंदाें काे बाहर एजैंटाें से काम कलैक्ट करके लाने व उनके लिए करप्शन के पैसे इकट्ठा करने की ड्यूटी भीलगाई हुई है। अनु मठारू नाम का एक निजी करिंदा ताे इतना बेलगाम हाे चुका है कि वह शहर के कई वाहन डीलराें के पास जाकर सरेआम कलर्काें के नाम की धौंस देकर उनसे काम लेकर आता है और दफ्तर में भी यह बिना किसी राेकटाेक के हर राेज़ आकर पैसाें का लेन-देन भी करता हुआ देखा जा सकता है।
इसके साथ ही कुछ अन्य प्राईवेट करिंदे ऐसे हैं, जाे हर समय सरकारी रिकार्ड काे इधर से उधर लेकर जाते हुए देखे जा सकते हैं। अब साेचने वाली बात है कि अगर काेई भी गैर-सरकारी व्यक्ति इस प्रकार से सरकारी रिकार्ड काे अपने कब्ज़े में लेकर घूम सकता है ताे उस सूरत में रिकार्ड के साथ छेड़छाड़ की संभावना से कैसे इंकार किया जा सकता है।
अंधेर नगरी चौपट राजा वाली कहावत इस समय बिल्कुल सटीक बैठती दिखाई दे रही है। क्योंकि आरटीओ अपने सरकारी काम की वजह से काफी समय दफ्तर के बाहर व्यतीत करते हैं, जिसका फायदा उक्त लाेग बखूबी उठाकर दाेनाें हाथाें से काली कमाई करने के लिए उठा रहे हैं।
इस संबधी जब बात करने के लिए आरटीओ का फाेन मिलाया ताे उनसे बात नहीं हाे सकी। जिससे उनका पक्ष प्राप्त नहीं हाे सका। जैसे ही उनसे बात हाेगी,उनका पक्ष भी प्रमुखता से प्रकाशित किया जाएगा।
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