अष्टामफरोश नितिन पाठक मामले में डीसी के फैसले को लेकर संजय सहगल ने डिवीज़नल कमिशनर के पास दायर की अपील
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डीसी के खिलाफ अधूरी कारवाई, देषी कर्मचारियों को बचाने का प्रयास, विजीलैंस के पास जानकारी न भेजने जैसे लगाए थे गंभीर आरोप
कोविड-19 के दौरान बैक डेट में अष्टम पेपर बेचने के मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए, डीसी डा. हिमांशु अग्रवाल (HIMANSHU AGGARWAL) ने स्टांप पेपर (STAMP PAPER) विक्रेता नितिन पाठक का लाइसेंस रद्द करने का आदेश जारी किया था। जांच के बाद एसडीएम (SDM) और तहसीलदार (TEHSILDAR) की रिपोर्ट के आधार पर लीगल एडवाइजर से सलाह प्राप्त की गई थी।
इस कारवाई को लेकर शिकायतकर्ता संजय सहगल ने अपनी असंतुष्टि जताते हुए इस मामले में डिवीज़नल कमिशनर के पास अपील दायर कर दी है। यहां बताने लायक है कि आरटीआई एक्टिविस्ट व समाज सेवक संजय सहगल ने लगभग 1 साल से अधिक समय तक इस मामले में ज़िला प्रशासन के अलग-अलग स्तर पर अपनी शिकायत को लेकर पैरवी की, मगर वह डीसी के आदेश से संतुष्ट नहीं दिखे और उन्होंने डीसी के खिलाफ अधूरी कारवाई, देषी कर्मचारियों को बचाने का प्रयास, विजीलैंस के पास जानकारी न भेजने जैसे गंभीर आरोप भी लगाए थे।
अपील दायर करने को लेकर हाट न्यूज़ इंडिया से विशेष बातचीत में उन्होंने कहा, हालांकि यह कारवाई बहुत पहले की जानी बनती थी, मगर सरकारी दफ्तरों में फाईलें जिस घीमी रफ्तार से चलती हैं, उसको देखते हुए यह एक आम बात ही प्रतीत होती है। मगर इस पूरे मामले में राजस्व विभाग के कर्मचारियों की जांच की जानी बेहद ज़रूरी है। क्योंकि देहाती इलाके का लाईसैंस बिनी किसी दफ्तर के कैसे बार-बार हर साल रिन्यु होता रहा और किसी भी रैवेन्यु अधिकारी या कर्मचारी ने इसकी जांच करने की ज़हमत ही नहीं उठाई। जिससे साफ पता लगता है कि यहां सब काम केवल पैसे लेकर किए जाते हैं और पैसों की चकाचौंध में सच्चाई छिप जाती है।
इतना ही नहीं केवल अष्टामफरोश का लाईसैंस रद्द करने से उसका साथ देने वाले संबिधत कर्मचारियों को बेकसूर नहीं ठहराया जा सकता। आखिर 22 साल उसका लाईसैंस कैसे रिन्यु होता रहा और किसकी मदद से ऐसा गैर-कानूनी काम होता रहा, इस पहलु को डीसी दफ्तर में जानबूझकर अनदेखा किया गया है। दरअसल दोषी कर्मचारियों को बचाने के लिए ही इस मामले में उनकी न तो जांच की गई और न ही इस मामले की फाईनल कारवाई रिपोर्ट विजीलैसं के पास भेजी गई।
संजय ने कहा कि अगर फाईनल कारवाई रिपोर्ट विजीलैंस के पास भेजी जाती, तो दोषी कर्मचारियों के लिए मुसीबत खड़ी हो सकती थी, इसीलिए डीसी दफ्तर की तरफ से जानबूझकर प्रदेश सरकार की तरफ से जारी पत्र नं 7853 मिति 26-06-2024 में दी गई हिदायत को अनदेखा किया गया है। जिसमें साफ तौर पर आदेश दिया गया था कि इस मामले में कारवाई करने के बाद विजीलैंस विभाग को भी सूचित किया जाए। मगर ऐसा नहीं किया गया।
क्या था मामला, कैसे आया था सामने, कब और कैसे हुई थी जांच ?
कोरोना काल के दौरान जब पूरे भारत में लाकडाऊन (LOCKDOWN) लगा हुआ था और सब लोगों को अपनी जानमाल की चिंता सता रही थी। वहीं जालंधर के एक बेहद शातिर किस्म के अष्टामफरोश (STAMP PAPER VENDOR) नितिन पाठक (NITIN PATHAK) द्वारा कुछ अलग ही खेला चल रहा था। लाकडाऊन के दौरान उसने जहां एक दिन में 109 और 5 दिन मे कुल 156 अष्टाम बेच डाले, जिसमे कुछ बैक-डेट (BACK-DATE STAMP PAPER) भी थे।
यह खेला चाहे आगे भी चलता रहता, मगर इसी दौरान शहर के एक नामी चर्च पर इंकम-टैक्स की रेड हुई और एक धार्मिक व्यक्ति की जांच के दौरान उक्त अष्टामफरोश की भूमिका सामने आई।
मगर न जाने क्या कारण है कि प्रशासन शुरूआत से ही इस अष्टाम-फराेश पर ज़रूरत से अधिक मेहरबान रहा है क्योंकि इंकम-टैक्स विभाग, ( INCOME TAX DEPARTMENT) विजीलैंस (VIGILENCE BUREAU) एवं सरकार (PUNJAB GOVERNMENT) द्वारा भी कई बार प्रशासन (ADMNISTRATION) को लिखे जाने के बाद भी 1 साल से ऊपर समय तक इसके खिलाफ काेई कारवाई ही नहीं की गई।
इस मामले यह बताने लायक है कि जालंधर के एक मश्हूर चर्च के ऊपर इंकम टैक्स विभाग ने रेड (RAID) की थी, जिसमें शहर के नामी धार्मिक व्यक्ति की पड़ताल के दौरान उक्त अष्टामफरोश की भूमिका (INVOLVEMENT) सामने आई। जिसमें टैक्स बचाने के लिए कुछ अष्टामों का इस्तेमाल करने की बात सामने आने पर जब उक्त अष्टामों के बारे में पड़ताल की गई तो पाया कि 27-03-2020 काे नितिन पाठक नाम के एक अष्टाम फरोश ने एक ही दिन में अपने रजिस्टर पर दर्ज सीरियल नंबर 3226 से 3382 तक कुल 109 अष्टामों की बिक्री की, जबकि उस समय पूरे देश में लाकडाऊन लगा हुआ था। जिसमें यह भी पता चला कि सीरियल नं 3362 के बाद पैन की स्याही (INK) में भी फर्क है और सीरियल नं (SERIAL NO.) 3363 व 3364 ब्राईट मीडिया (BRIGHT MEDIA) को बेचा गया और बाद में 3364 के बाद एक बार दोबारा से पैन की स्याही 3363 से पहले वाली ही इस्तेमाल की गई है।
अष्टामफरोश नितिन पाठक की इंकम टैक्स एक्ट (INCOME TAX ACT), 1961 की धारा (SECTION) 131(1ए) के तहत आन-ओथ स्टेटमैंट (ON-OATH STATEMENT) 07-08-2023 को विभाग (DEPARTMENT) द्वारा रिकार्ड (RECORD) की गई थी। जिसमें उसने इस बात को स्वीकार किया था, कि 2 बैक-डेट (BACK DATE) के अष्टाम 27-03-2020 को उसके द्वारा ब्राईट मीडिया बेचे हैं जो असलीयत में उसने मई, 2023 को बैक-डेट डालकर बेचे थे।
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