"बिना लाईसैंस" धड़ल्ले से खुल रहे 'ट्रैवल एजैंटाें' के 'दफ्तर', 'जुगाड़ व सैटिंग' के दम पर भाेली-भाली जनता काे 'लूटने' का काम ज़ाेरों पर !
जालंधर का ग्रैंड माल बना ठग किस्म के एजैंटाें की सबसे पसंदीदा जगह, शाप मालिक केवल किराये से रखते मतलब !
आए दिन हाेते लड़ाई-झगड़े, पुलिस के पास पहुंची शिकायत, हाेगी कारवाई या फिर डाल दिया जाएगा ठंडे बस्ते में !
दोआबा क्षेत्र में जालंधर एक ऐसा ज़िला है जहां जितने लाईसैंसशुदा ट्रैवल एजैंट हैं, उससे दाेगुना गिनती से भी अधिक बिना लाईसैंस के काम करके बड़ी गिनती में ठग किस्म के एजैंट हर राेज़ माेटी काली कमाई कर रहे हैं। अगर बात करें बिना लाईसैंस के भाेली-भाली जनता काे लूटने वाले एजैंटाें की ताे, जालंधर के हाेटल रैडीसन के बिल्कुल साथ वाली बिल्डिंग ग्रैंडमाल मौजूदा समय में ऐसे लाेगाें की सबसे पसंदीदा जगह बन चुकी है। क्याेंकि यहां शाप व दफ्तर किराये पर देने वाले लाेगाें काे केवल अपने किराये से मतलब है। और जाे किरायेदार जगह ले रहा है उसके पास ट्रैवल काराेबार करने का लाईसैंस है या नहीं, इससे उन्हें काेई मतलब ही नहीं है।
वैसे यहां लगभग हर राेज़ ही लड़ाई-झगड़े की सूचना मिलती रहती है और कई बार यहां पुलिस भी आ चुकी है। पिछले कुछ समय के दौरान ही यहां कई दफ्तर बंद हाे चुके हैं और बहुत बड़ी गिनती में नए दफ्तर भी खुल चुके हैं। मगर सबसे मज़ेदार बात यह है कि दफ्तर बंद करके नया दफ्तर खाेलने वाले लाेग एक ही हैं। केवल दफ्तर का नाम हर बार नया रखा जाता है। यहां तक कि यहां काम करने वाला स्टाफ भी पुराना ही रहता है। कई बार ठग किस्म के एजैंट ग्रैंडमाल की तीसरी मंज़िल पर दफ्तर बंद करते हैं ताे पांचवी मंज़िल पर खाेल लेते हैं। ऐसा कई बार रिपीट हाे चुका है।
ऐसा नहीं है कि दफ्तर किराये पर देने वालाें काे या फिर पुलिस काे इसकी जानकारी नहीं है। मगर ठग किस्म के ट्रैवल एजैंटाें की तगड़ी सैटिंग, ऊंची पहुंच व पैसों के दम पर हर बार यह लाेग धाेखाधड़ी करने के बाद भी साफ बच निकलते हैं।
कुछ समय पहले जालंधर पुलिस द्वारा ठग एजैंटाें के एक बड़े नैक्सस का पर्दाफाश किया गया था। मगर बाद में एक बार फिर से वही गैंग जालंधर में सक्रिय हाे चुकी है। सूत्रों की मानें ताे इस समय भी 8 से 10 दफ्तर इस बिल्डिंग में पिछले थाेड़े समय के अंदर ही खुल चुके हैं, जिनके पास काेई भी लाईसैंस नहीं है। मगर बावजूद इसके वह लाेग सरेआम अपनी ठगी की दुकानदारी बिना किसी कानून के भय के चला रहे हैं।
वैसे इस मामले की शिकायत जालंधर पुलिस के पास एक आरटीआई एक्टिविस्ट द्वारा की जा चुकी है। मगर देखने वाली बात हाेगी कि इन अवैध दफ्तराें पर काेई कारवाई हाेती है या फिर एक बार फिर से इस शिकायत काे भी ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है।
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