DEADMAN CASE मामला पहुंचा डीसी व विजीलैंस के पास, प्रशासन ने जांच की आरंभ, संबधित पक्षों को नोटिस जारी !
पहले भी लाखों रूपए रिश्वत लेकर मृत लोगों को कागज़ों में किया जा चुका है ज़िंदा !
एक अधिकारी की भूमिका पर भी उठ रहे सवाल, इनके कार्यकाल में ही सबसे अधिक शिकायतें हुई प्राप्त
जालंधर तहसील अपने अजीबोगरीब कारनामों को लेकर पूरे प्रदेश में अव्वल नंबर पर आती है। यहां अलग-अलग तरह के दस्तावेज़ रजिस्टर करने के उद्देश्य से बने सब-रजिस्ट्रार दफ्तरों के अंदर पैसों के दम पर, ऊंची पहुंच व तगड़ी सैटिंग के चलते हर तरह का असंभव काम चुटकियां बजाते हुए हो जाता है।
चाहे मौजूदा विधायक की माता की जगह किसी अन्य महिला को खड़ा करके जाली रजिस्ट्री करवाने का मामला हो, चाहे जाली एनओसी लगाकर सरकार को लाखों का चूना लगाने का मामला हो, चाहे मृत व्यक्ति को कागज़ों में जीवित दिखाकर सरेआम फर्जीवाड़ा करने का मामला हो, जालंधर के उक्त दफ्तरों में सब कुछ संभव है।
हाल ही में सरकारी रिकार्ड के साथ छेड़छाड़ करने का मामला सामने आया था, जिसको दबाने के लिए एड़ी-चोटी का ज़ोर लगाया जा रहा है। और दोषियों के खिलाफ कारवाई करने की जगह उन्हें क्लीन-चिट देकर शिकायतकर्ता को ही झूठा साबित करने की बहुत बड़ा साजिश को अंजाम दिया जा रहा है।
जालंधर की तहसील में ही कुछ समय पहले एक ऐसी रजिस्ट्री की गई, जिसमें मृत व्यक्ति को कागज़ों मे जीवित साबित करके एक जाली दस्तावेज़ रजिस्टर करके कुछ लोगों को बैनिफिट प्रदान किया गया। हालांकि इस मामले में एक लिखित शिकायत डीसी व विजीलैंस के पास हो चुकी है। और इस संबधी प्रशासन की तरफ से जांच भी आरंभ कर दी गई है। जिसके लिए संबधित पक्षों को नोटिस भी जारी किए जा चुके हैं। ताकि सच्चाई का पता लगाकर दोषियों के खिलाफ बनती कानूनी कारवाई की जा सके। वैसे तो जालंधर में उच्च-अधिकारी अपने अधीन काम करने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों के प्रति नरम रूख अख्तियार करते हैं और पिछले कुछ समय के दौरान सीधे-सीधे न्याय प्रक्रिया का मजाक उड़ाते हुए आरोपी अधिकारियों को ही उनकी अपनी जांच सौंप दी जाती है। इसलिए इस मामले का अंजाम क्या होगा यह तो आने वाला वक्त ही बेहतर बता पाएगा।
क्या है मामला, कैसे आया सामने, कैसे की गई जालसाजी ?
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार जालंधर की तहसील में ही कुछ साल पहले एक ऐसी रजिस्ट्री की गई, जिसमें मृत व्यक्ति को कागज़ों मे जीवित साबित करके एक जाली दस्तावेज़ रजिस्टर करके कुछ लोगों को बैनिफिट प्रदान किया गया। इस मामले की पोल उस समय खुली जब इस तरह से एक प्रकार की जाली रजिस्टरी करवाने वाले व्यक्तिके ही रिश्तेदार ने उसके खिलाफ मामले को उजागर कर दिया। उक्त रिश्तेदार का कहना है कि एक अधिकारी ने मामले की पूरी जानकारी होते हुए भी केवल पैसों के लालच में इस गल्त व गैर-कानूनी काम को अंजाम दे दिया। रिश्तेदार ने उक्त अधिकारी के ऊपर 2 लाख लेकर यह गलत काम करने का भी आरोप लगाया है।
इस मामले में जो जानकारी प्राप्त हुई है, उसके अनुसार लगभग 31 साल पहले एक पावर आफ अटार्नी जारी की गई, जिसके बाद लगभग 26 साल पहले उससे ही आगे एक स्पैशल पावर आफ अटार्नी जारी कर दी गई। अब एसपीए जारी करने वाले व्यक्ति का निधन 8 जनवरी, 2019 को हो जाता है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इसके बाद जालसाजी और फर्जीवाड़े का सारा खेल खेलना आरंभ कर दिया जाता है। लगभग 2 महीने के बाद एक वसीका नवीस की मदद से अधिकारियों के साथ सैटिंग करते हुए 2 लाख रूपए में सौदा तय होता है। जिसके बाद 27-02-2019 को उक्त दस्तावेज़ रजिस्ट्रेशन के लिए प्रस्तुत किया जाता है। मगर मौके पर मौजूद अधिकारी के कानों में मामले की भनक लग जाती है और वह इसे रजिस्टर करने के लिए इंकार कर देते हैं। ऐसे में शुरू होता है नया खेल, जिसमें एक बार नए सिरे से पूरी डील तय की जाती है और 2 दिन बाद 1 मार्च, 2019 को सबकुछ जानते बूझते हुए भी केवल पैसों के लालच में मृत व्यक्ति को कागज़ों में ज़िंदा साबित करके इस फर्जीवाड़े को अंजाम दे दिया जाता है।
इस बार भी तहसील के विवादित नंबरदार ने डाली है गवाही, हाल ही में एक अन्य मामले में दर्ज हो चुका है पर्चा
इस पूरे मामले में जो सबसे रोचक बात सामने आ रही है वह यह है, कि इस दस्तावेज़ पर भी गवाही उसी विवादित नंबरदार ने डाली है, जिसके ऊपर हाल ही में एक एनआरआई की जाली वसीयत को तस्दीक करने के मामले में एनआरआई थाने के अंदर पर्चा दर्ज किया गया है।
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