जालंधर तहसील की अजब–गजब माया ! काग़ज़ों के खेल से करोड़ों का घोटाला, सिस्टम बना मूक दर्शक
शहर के कुछ शातिर कालोनाईज़रों का कारनामा, जाली दस्तावेज़ों के आधार पर अवैध कालोनियों में करवाईं हज़ारों रजिस्ट्रियां
कोटला, नंगल जलालपुर, होशियारपुर रोड, बुलंदपुर, रेरू, चोहका, मुबारकपुर, रायपुर रसूलपुर में खेला गया करोड़ों की काली कमाई का गंदा खेल
जनता को बनाया मूर्ख, सरकार को लगाया करोड़ों के रैवेन्यु का चूना
जालंधर, 17 दिसंबर : पंजाब की तहसीलों में भ्रष्टाचार कोई नई या चौंकाने वाली बात नहीं है। प्रदेश के किसी न किसी ज़िले से समय-समय पर रिश्वतखोरी और अनियमितताओं की खबरें सामने आती रही हैं, लेकिन जालंधर तहसील का मामला पूरे प्रदेश में अलग और कहीं ज़्यादा गंभीर है। यहां भ्रष्टाचार नहीं, बल्कि योजनाबद्ध जालसाज़ी और संगठित फर्जीवाड़ा ऐसा स्तर छू चुका है कि साधारण करप्शन उसके सामने मामूली प्रतीत होने लगता है। जालंधर तहसील में बीते वर्षों के दौरान जाली दस्तावेज़ों के आधार पर रजिस्ट्रेशन कोई अपवाद नहीं, बल्कि आम चलन बन चुका था। किसी मृत व्यक्ति को काग़ज़ों में ज़िंदा दिखाकर रजिस्ट्री कर देना, फर्जी वारिस खड़े कर देना या नकली पहचान पत्रों के सहारे ज़मीन-मकान का लेन-देन कर देना ये सब बातें फाइलों में दर्ज होती रहीं और सिस्टम आंखें मूंदे बैठा रहा।
100 दस्तावेज़ों में से 80 से 90 प्रतिशत तक में एनओसी या क्लासिफिकेशन के नाम पर फर्जी काग़ज़ लगाए जाते रहे
सबसे बड़ा और गंभीर मामला नगर निगम तथा पुडा की जाली एनओसी और क्लासिफिकेशन से जुड़ा रहा। सूत्रों की मानें तो “ईज़ी रजिस्ट्री” व्यवस्था लागू होने से पहले ऐसा दौर भी रहा जब रोज़ाना रजिस्टर्ड होने वाले करीब 100 दस्तावेज़ों में से 80 से 90 प्रतिशत तक में एनओसी या क्लासिफिकेशन के नाम पर फर्जी काग़ज़ लगाए जाते थे। इन जाली दस्तावेज़ों के सहारे न केवल नियमों को ताक पर रखा गया, बल्कि सरकारी खज़ाने को भी खुलेआम नुकसान पहुंचाया गया।
कोटला, नंगल जलालपुर, होशियारपुर रोड, बुलंदपुर, रेरू, चोहका, मुबारकपुर, रायपुर रसूलपुर में खेला गया करोड़ों की काली कमाई का गंदा खेल
इस पूरे खेल का सबसे बड़ा फायदा उठाया शहर के कुछ लालची किस्म के कॉलोनाइज़रों ने। अवैध कॉलोनियों को वैध दिखाने के लिए फर्जी एनओसी का सहारा लिया गया और भोली-भाली जनता को महंगे दामों पर प्लॉट व मकान बेच दिए गए। एक ओर आम लोग अपनी ज़िंदगी की जमा-पूंजी झोंकते रहे, तो दूसरी ओर सरकार और प्रशासन को करोड़ों रुपये के राजस्व का चूना लगाया जाता रहा। शहर की बात करे तो सबसे ज्यादा गिनती में कोटला, नंगल जलालपुर, होशियारपुर रोड, बुलंदपुर, रेरू, चोहका, मुबारकपुर, रायपुर रसूलपुर में कुछ शातिर कालोनाईज़रों द्वारा करोड़ों की काली कमाई का गंदा खेल खेला गया। जिसकी परतें दर परतें अब जल्दी ही खुलने वाली हैं।
अधिकारी सोते रहें कुंभकर्णी नींद, सरकारी खज़ाने पर चलती रही छुरी, खुलकर हुई करप्शन
चौंकाने वाली बात यह है कि इतने बड़े पैमाने पर चल रहे इस फर्जीवाड़े के बावजूद लंबे समय तक न तो ठोस जांच हुई और न ही जिम्मेदार अधिकारियों पर कोई सख्त कार्रवाई दिखाई दी। सब कुछ पता होने के बावजूद अधिकारी कुंभकर्णी नींद सोते रहे और सरकीर खज़ाने पर छुरी चलती रही। खुलकर तहसील में करप्शन होती रही, मगर किसी के कानों पर जूं तक नहीं सरकी। अब बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या यह सब बिना अंदरूनी मिलीभगत के संभव था ? या फिर सिस्टम का हर पहिया किसी न किसी स्तर पर इस खेल का हिस्सा बन चुका था ?
इलाका पुडा का, 1995 से पुराना इलाका बताकर व अवैध कालोनियों में निगम की क्लासिफिकेशन लगाकर दस्तावेज़ करवाए गए रजिस्टर्ड
एक और बात जो बेहद हैरान करने वाली है कि एक कालोनाईज़र ने जालसाजी की सारी हदें पार करते हुए पुडा के अधीन आने वाले इलाके में 1995 से पहले वाली जगह बताकर रजिस्ट्रियां करवाई तो दूसरे कालोनाईज़र ने अपनी सारी अवैध कालोनियों में नगर निगम की क्लासिफिक्शन के जाली कागज़ लगाकर अधिकारियों के साथ सांठ-गांठ करके इस फर्जीवाड़े को अंजाम देते हुए सारे गलत दस्तावेज़ रजिस्टर्ड करवा लिए।
हॉट न्यूज़ इंडिया अब इसी काले सच से पर्दा उठाने जा रहा है। हमारी विशेष खोजी श्रृंखला “जालंधर तहसील की अजब-गजब माया” में उन कॉलोनाइज़र, फर्जी दस्तावेज़ों के नेटवर्क और प्रशासनिक चूक की परत-दर-परत कहानी सामने लाई जाएगी, जिसने जालंधर तहसील को प्रदेश भर में बदनाम कर दिया। अगली कड़ी में कौन हैं ये कॉलोनाइज़र, कैसे तैयार होते थे जाली एनओसी और किसकी मेहरबानी से चलता रहा यह पूरा खेल। इसका पर्दाफाश सबूतों सहित किया जाएगा और अपने पाठकों व प्रशासन तक इस काले खेल का कच्चा-चिटठा खोला जाएगा।
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