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कड़वा सच: चंडीगढ़ में दूध-पनीर का हर तीसरा सैंपल फेल, किडनी-लिवर फेलियर और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का बढ़ा खतरा

PUBLISH DATE: 16-12-2025

शहर की सेहत पर खतरा: दूध-पनीर के हर तीसरे सैंपल में मिलावट, FSSAI रिपोर्ट से खुलासा


चंडीगढ़।


शहरवासियों की थाली में परोसे जा रहे दूध और पनीर की गुणवत्ता अब गंभीर सवालों के घेरे में है। फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक बीते तीन वर्षों में दूध और दुग्ध उत्पादों का लगभग हर तीसरा सैंपल मानकों पर फेल पाया गया है। यह आंकड़े न सिर्फ चौंकाने वाले हैं, बल्कि स्वास्थ्य सुरक्षा तंत्र की कमजोरियों को भी उजागर करते हैं।


आहार विशेषज्ञों के अनुसार दूध और दुग्ध उत्पादों में यूरिया, डिटर्जेंट, स्टार्च, फार्मेलिन और अन्य सिंथेटिक पदार्थों की मिलावट से किडनी, लिवर और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। इसके बावजूद फूड सेफ्टी और स्वास्थ्य विभाग की कार्रवाई अभी भी अधूरी नजर आ रही है।


तीन साल में बढ़ता फेल प्रतिशत


FSSAI के आंकड़ों के अनुसार 2022-23 में चंडीगढ़ से लिए गए 23 सैंपलों में 6 फेल पाए गए। 2023-24 में 40 में से 17 सैंपल गैर-मानक निकले, जबकि 2024-25 में अब तक 36 में से 19 सैंपल फेल हो चुके हैं। यानी शहर में दूध और दुग्ध उत्पादों का लगभग हर तीसरा सैंपल मानकों पर खरा नहीं उतर रहा।


पड़ोसी राज्यों से तुलना


पड़ोसी राज्यों की स्थिति और भी चिंताजनक है। हरियाणा में तीन वर्षों में 1451 सैंपलों में से 529 और पंजाब में 1915 में से 902 सैंपल फेल पाए गए। पंजाब में खासतौर पर पनीर में मिलावट के मामले सबसे अधिक सामने आए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि छोटे बाजार वाले चंडीगढ़ में भी फेल सैंपलों का बढ़ता अनुपात सप्लाई चेन में खामियों और बाहरी राज्यों से आने वाले उत्पादों की कमजोर निगरानी की ओर इशारा करता है।


सप्लाई चेन पर सवाल


विशेषज्ञों के मुताबिक दूध-पनीर की सप्लाई चेन में पारदर्शिता की कमी और बाहरी राज्यों से आने वाले उत्पादों पर पर्याप्त जांच न होना मुख्य कारण है। यही वजह है कि शहर में भी मिलावटी दुग्ध उत्पाद पहुंच रहे हैं।


लैब में करवा सकते हैं जांच


फूड सेफ्टी विभाग ने नागरिकों को राहत देते हुए दूध और दुग्ध उत्पादों की जांच की सुविधा अपनी लैब में उपलब्ध कराई है। कोई भी नागरिक मामूली शुल्क देकर सैंपल की जांच करवा सकता है। विभाग के अनुसार मिलावट पाए जाने पर रिपोर्ट दर्ज की जाती है और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाती है।


चेतावनी साफ है


विशेषज्ञों का कहना है कि अगर समय रहते सख्त निगरानी और कार्रवाई नहीं की गई, तो मिलावटी दूध-पनीर शहरवासियों की सेहत के लिए बड़ा खतरा बन सकता है।