सुखविंदर सुखी के भाषण पर विधानसभा में हंगामा, बाजवा ने रोका भाषण बोले—“पहले बताओ, किस पार्टी से हो?”
पंजाब विधानसभा स्पेशल सेशन में हंगामा, बाजवा–सुखी आमने-सामने; मनरेगा को लेकर तीखी बहस
पंजाब विधानसभा द्वारा बुलाए गए विशेष सत्र के दौरान बुधवार को सदन में उस वक्त हंगामा हो गया, जब विधायक डॉ. सुखविंदर कुमार सुखी ने बोलना शुरू किया। इसी दौरान विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा ने उन्हें रोकते हुए सवाल किया कि वे स्पष्ट करें कि वे किस पार्टी से हैं। इस पर सदन में विवाद गहराता चला गया।
विवाद बढ़ने पर स्पीकर ने प्रताप सिंह बाजवा को जवाब देते हुए कहा कि सुखविंदर कुमार सुखी पंजाब विधानसभा के सदस्य हैं और बंगा विधानसभा क्षेत्र से दूसरी बार विधायक चुने गए हैं। स्पीकर ने बाजवा को नसीहत देते हुए कहा कि जब खुद आपने माना है कि आज का मुद्दा गंभीर है, तो इस पर राजनीति न करें। अगर मजदूरों और गरीबों की बात हो रही है तो उसे रखने से क्यों रोका जा रहा है। स्पीकर ने सवाल किया कि आपके लिए पार्टी ज्यादा जरूरी है या मुद्दा?
इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए आम आदमी पार्टी के पंजाब प्रधान अमन अरोड़ा ने कहा कि जैसा स्टेटस संदीप जाखड़ का है, वैसा ही स्टेटस सुखविंदर सुखी का भी है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि बाजवा साहब आज कांग्रेस के लिए कम और भाजपा व अकाली दल के लिए ज्यादा बोलते नजर आ रहे हैं।
वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने भी इस विवाद में बाजवा पर निशाना साधते हुए कहा कि जब भी कोई गरीब या मजदूर वर्ग से निकलकर विधायक बनता है, तो बाजवा साहब को परेशानी होती है। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस दलित, गरीब और मजदूर विरोधी पार्टी है और ऐसे मुद्दों पर चर्चा नहीं करना चाहती।
स्पीकर ने एक बार फिर बाजवा को याद दिलाया कि सुखविंदर सुखी पहले भी सदन में बोलते रहे हैं और आज जब गरीबों का मुद्दा उठाया जा रहा है, तब उस पर आपत्ति करना उचित नहीं है।
हंगामे के बाद विधायक सुखविंदर कुमार सुखी ने सदन में अपनी बात रखी। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा ने मनरेगा योजना को खत्म कर उसका नाम बदलकर ‘जी राम जी’ रख दिया है। उन्होंने कहा कि यह योजना केवल दलितों ही नहीं बल्कि मजदूरों और गरीबों के लिए भी जीवनरेखा थी, जिसे खत्म करने की साजिश की जा रही है।
सुखी ने बताया कि वे अपने क्षेत्र के करीब दो हजार लोगों के हस्ताक्षर लेकर विधानसभा में आए हैं। उन्होंने भाजपा विधायक अश्विनी पर सवाल उठाने का जिक्र करते हुए कहा कि उन पर पंचायत सचिव के जरिए फॉर्म भरवाने का आरोप लगाया जा रहा है। इस पर सुखी ने खुली चुनौती देते हुए कहा कि अगर यह साबित हो जाए कि फॉर्म किसी सचिव के जरिए भरे गए हैं, तो वे आज ही राजनीति छोड़ देंगे।
उन्होंने कहा कि इन फॉर्मों में उन लाखों लोगों की आवाज है जिन्हें मनरेगा से फायदा मिलता था। अंत में उन्होंने मुख्यमंत्री भगवंत मान का धन्यवाद किया कि सरकार ने उन्हें इस अहम मुद्दे पर बोलने का मौका दिया।
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