12:16 Wed, Dec 24, 2025 IST
jalandhar
polution 66 aqi
29℃
translate:
Wed, Dec 24, 2025 11.26AM
jalandhar
translate:

मुबारकपुर की “कष्णा एन्कलेव” में खेला गया जालंधर का सबसे बड़ा फर्जीवाड़े का खेल !

PUBLISH DATE: 23-12-2025

जगह पुडा की, क्लासिफिकेशन नगर निगम की ? 200 से अधिक रजिस्ट्रियां, 70 लाख की रिश्वत ?


सरकार को करोड़ों का चूना, जनता को बनाया बुद्दू !


तहसीलदार, आरसी व पटावारी ने पुडा की लिखित चिट्ठी के बावजूद मूंद ली आंखें


 


जालंधर, 23 दिसंबर : जालंधर के लंबा पिंड क्षेत्र के आसपास अवैध कॉलोनियों का ऐसा काला साम्राज्य खड़ा किया गया, जिसने न सिर्फ नियम-कानूनों को ठेंगा दिखाया, बल्कि सरकारी खजाने को करोड़ों रुपये का चूना लगाकर कुछ कॉलोनाइज़र रातों-रात अरबपति बन बैठे। हैरानी की बात यह है कि यह पूरा खेल कथित तौर पर सब-रजिस्ट्रार जालंधर-1, रजिस्ट्री क्लर्क (आरसी), पटवारी और कानूनगो की मिलीभगत से अंजाम दिया गया, और आज तक इस बड़े फर्जीवाड़े पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।


सबसे चौंकाने वाला तथ्य यह है कि जिस जमीन पर धड़ल्ले से रजिस्ट्रियां की गईं, वह पुडा (PUDA) के अधीन बताई जा रही है, जबकि रिकॉर्ड में उसकी क्लासिफिकेशन नगर निगम की दर्शाई गई। यानी जमीन की असली हैसियत छुपाकर, कागजों में हेरफेर कर, भोली-भाली जनता को प्लॉट बेच दिए गए। सूत्रों के अनुसार, इस खेल में 200 से अधिक रजिस्ट्रियां की गईं और प्रति रजिस्ट्री करीब 30 हजार रुपये की मोटी रिश्वत वसूली गई। केवल इसी मद में लगभग 70 लाख रुपये की अवैध कमाई का अनुमान लगाया जा रहा है।


मामला यहीं नहीं रुका। नियमों के अनुसार, रजिस्ट्री के बाद जमीन का इंतकाल दर्ज होना जरूरी होता है, लेकिन यहां कथित तौर पर 5 हजार रुपये प्रति रजिस्ट्री लेकर ऐसा इंतकाल दर्ज ही नहीं किया गया, जो कभी हो ही नहीं सकता था। इससे न सिर्फ सरकारी रिकॉर्ड को गुमराह किया गया, बल्कि भविष्य में जमीन के मालिकाना हक को लेकर बड़े विवादों की जमीन भी तैयार कर दी गई।


इस पूरे फर्जीवाड़े की जानकारी पुडा द्वारा 27 अगस्त 2021 को जारी किए गए एक पत्र में स्पष्ट रूप से दी गई थी। इस पत्र में खसरा नंबर सहित, मुबारकपुर स्थित कृष्णा एन्कलेव, मालिक जतिंदर सिंह पुत्र संत सिंह के संबंध में स्थिति साफ करते हुए, सभी संबंधित अधिकारियों और पटवारियों को सूचित किया गया था। बावजूद इसके, पैसों के लालच में जिम्मेदार अधिकारियों ने आंखें मूंद लीं और अवैध रजिस्ट्रियों का सिलसिला बदस्तूर जारी रहा।


सबसे गंभीर सवाल यह है कि जब पुडा का आधिकारिक पत्र सभी के सामने था, तो फिर किसके इशारे पर यह खेल चलता रहा? क्या बिना राजनीतिक संरक्षण के इतना बड़ा घोटाला संभव है? इस अवैध कॉलोनाइजेशन से सरकार को जहां करोड़ों रुपये के रैवेन्यू का नुकसान हुआ, वहीं आम लोगों की जिंदगी भर की कमाई दांव पर लग गई।


आज स्थिति यह है कि लोग प्लॉट खरीदकर न तो पूरी तरह मालिक बन पाए हैं और न ही उन्हें बुनियादी सुविधाओं या कानूनी सुरक्षा की कोई गारंटी है। इसके बावजूद, इतनी बड़ी जालसाजी पर आज तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं होना, सिस्टम पर बड़े सवाल खड़े करता है।


अब देखना यह है कि क्या प्रशासन इस मामले में जिम्मेदार अधिकारियों और कॉलोनाइज़र के खिलाफ सख्त कदम उठाएगा, या फिर यह घोटाला भी फाइलों में दफन होकर रह जाएगा—और जनता यूं ही “बुद्दू” बनती रहेगी।