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डीसी दफ्तर इंप्लाईज़ यूनियन ने स्टाफ की कमी और व्यवस्थागत खामियों को लेकर उठाई आवाज, विशेष प्रस्ताव किया पास

PUBLISH DATE: 26-09-2025

कहा, केवल अपने दफ्तर के साथ संबंधित कोर्ट केसों की करेंगे पैरवी


 


जालंधर, 26 सितम्बर : पंजाब स्टेट डिस्ट्रिक्ट (डी.सी.) ऑफिस एम्प्लॉयीज़ एसोसिएशन (जालंधर यूनिट) ने दफ्तरों में बढ़ती कार्यप्रणाली संबंधी समस्याओं को लेकर जिला प्रशासन और राज्य सरकार का ध्यान आकर्षित किया है। यूनियन की ज़िला इकाई के प्रधान पवन कुमार वर्मा की अध्यक्षता में यूनियन सदस्यों ने एक विशेष प्रस्ताव पास करते हुए साफ किया है कि सर्वसम्मति से लिए गए फैसले के अनुसार भविष्य में जालंधर ज़िले के कर्मचारी केवल इस दफ्तर के साथ संबंधित कोर्ट केसों, जिसमें डीसी जालंधर या जालंधर के कोई और अधिकारी पार्टी होंगें, केवल ऐसे केसों की ही मुकम्मल पैरवी करेंगे। और अगर समय रहते समस्याओं का समाधान नहीं किया गया तो कर्मचारियों को संघर्ष का रास्ता अपनाने पर मजबूर होना पड़ेगा।


शाखाओं में स्टाफ की है भारी कमी


डीसी दफ्तर इंप्लाईज़ यूनियन के ज़िला प्रधान पवन कुमार वर्मा ने बताया कि डीलिंग, केसवर्क, एम.ए. ब्रांच, ए.जी. ब्रांच और पे ब्रांच जैसी अहम शाखाओं में कर्मचारियों की भारी कमी है। इसके कारण न सिर्फ कार्य समय पर पूरा नहीं हो पाता, बल्कि दफ्तर का वातावरण भी अव्यवस्थित हो गया है। कर्मचारियों पर काम का अत्यधिक बोझ पड़ रहा है जिससे कार्यकुशलता प्रभावित हो रही है।


फोन और व्हाट्सएप पर दिए जाने वाले आदेशों का जताया विरोध


पवन कुमार ने यह भी आरोप लगाया कि दफ्तर में आदेश लिखित रूप से देने की बजाय व्हाट्सएप और फोन कॉल्स के माध्यम से दिए जाते हैं, जो अनुचित और अव्यवहारिक है। एसोसिएशन ने मांग की है कि प्रशासन ऐसे सभी आदेश केवल लिखित रूप में ही जारी करे।


लॉ ऑफिसर की नियुक्ति की रखी मांग


यूनियन ने इस बात पर हैरानी जताई कि पंजाब सरकार और विभागों के अधीन चल रहे दफ्तरों में अब तक कोई लॉ ऑफिसर (कानूनी अधिकारी) नियुक्त नहीं किया गया है। इसके अभाव में कानूनी मामलों और कोर्ट केसों में समय पर उचित जवाब देना संभव नहीं हो पाता, जिससे कर्मचारियों को अनावश्यक परेशानी झेलनी पड़ती है। न ही इस संबधी कोई बजट अलाट किया गया है। इसीलिए ज़रूरी बजट न होने के कारण हमारे कर्मचारियों को मानसिक परेशानी का सामना करना पड़ता है। ऐसे जवाबदावों को तैयार करवाने के लिए दी जाने वाली फीस के स्त्रोतों को लेकर सवाल खड़ा करते हुए कहा गया है कि यह सीधे-सीधे करप्शन को प्रमोट करने का ही एक तरीका है। यूनियन ने ए.डी.सी. (जी.ए. टू डी.सी.) को भेजे जाने वाले फाइलों और कामकाज में अनावश्यक जटिलताओं और ‘नेक्सस’ व्यवस्था पर भी सवाल उठाए हैं। कर्मचारियों का कहना है कि इस कारण काम में पारदर्शिता और सरलता की बजाय भ्रष्टाचार और देरी बढ़ती जा रही है।


किस ताज़ा मामले ने पैदा किया विवाद, क्यों प्रस्ताव किया गया पास ?


यूनियन द्वारा पास किए प्रस्ताव में साफ किया गया है कि पंजाब सरकार – सिविल सैक्रेटेरियेट मे तैनात अधिकारियों के खिलाफ दायर होने वाले कोर्ट केस, जिनमें डीसी-एसडीएम पार्टी भी नहीं होते हैं। उसमें अलग-अलग विभागों के सुप्रीटैंडैंटों द्वारा अपने हस्ताक्षर अधीन एक पत्र जारी करके हमारे दफ्तर को माननीय हाईकोर्ट में जवाबदावा तैयार करके पेश करने के लिए लिख दिया जाता है। पत्र में यह भी लिखा जाता है कि सरकार के हितों की रक्षा सुनिश्चित की जाए। और अगर सरकार के खिलाफ कोई आदेश पास होता है या सरकारी खज़ाने को कोई नुक्सान होता है तो उसकी पूरी ज़िम्मेदारी डीसी दफ्तर जालंधर की होगी। यह एक गल्त प्रथा है जो लंबे समय से ऐसे ही चली आ रही है। जिस वजह से कर्मचारी बहुत परेशान होते हैं।


हाल ही में आम राज प्रबंधकीय विभाग (फ्रीडम फाईटर शाखा) के एक सीनियर सहायक की तरफ से “एंजेलिना जती राम बनाम भारत संघ” केस में अपने ही दफ्तर द्वारा जारी एक पत्र की पंजाबी से अग्रेज़ी में ट्रांसलेशन और भारत सरकार के पत्रों को अंग्रेज़ी में टाईप करवाने के लिए दफ्तर के कर्मचारियों के साथ व्हाटसएप पर धमकी भरे लहज़े में बात की गई और अपने अधिकारियों द्वारा हमारे दफ्तर के अधिकारियों (एडीसी-जीए से लेकर डीसी) तक को फोन किए गए। जबकि नियमानुसार जवाबदावा उस दफ्तर द्वारा ही तैयार किया जाना होता है, जिसको रिट पटीशन में पार्टी बनाया गया हो।


यूनियन द्वारा संघर्ष की दी गई चेतावनी


जिला प्रधान पवन कुमार वर्मा ने कहा कि कर्मचारियों की ये मांगें बार-बार उठाई जा रही हैं लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार और जिला प्रशासन ने इन मांगों पर तुरंत ध्यान नहीं दिया तो कर्मचारी संघ को आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ेगा।